चीन ने एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की अपनी मांग दोहराते हुए कहा है कि शक्तिशाली देश अपने उत्पीड़न के माध्यम से न्याय की जगह नहीं ले सकते। पोप फ्रांसिस ने भी लेबनान पर इजराइल के हमलों में हिजबुल्लाह सचिव हसन नसरल्लाह और निहत्थे नागरिकों की शहादत की आलोचना की है और कहा है कि ये हमले नैतिकता से परे हैं।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के मौके पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि फिलिस्तीन मानव अंतरात्मा की आवाज के लिए सबसे बड़ा घाव है।
उन्होंने कहा कि बल न्याय की जगह नहीं ले सकता और गाजा पट्टी में हर दिन इंसानी ज़िंदगियाँ ख़त्म हो रही हैं और लेबनान में एक बार फिर युद्ध शुरू हो गया है।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, पोप फ्रांसिस बेल्जियम से रोम लौट रहे थे और उन्होंने उड़ान के दौरान कहा कि देश इतने आक्रामक नहीं हो सकते कि अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करें, यहां तक कि युद्ध में भी नैतिकता का ध्यान रखा जाता है।
फ्लाइट में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में 87 वर्षीय पोप फ्रांसिस ने कहा कि रक्षा हमेशा हमले के अनुपात में होनी चाहिए, जब कुछ असंगत होता है, तो किसी को एक फायदा होता है जो नैतिकता से परे होता है।
चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की मांग लंबे समय से चल रही है और इसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और ऐतिहासिक अन्याय के शिकार फिलिस्तीनियों को अब नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसे समय में बात की जब इजराइल एक साल से गाजा में क्रूर कार्रवाई कर रहा है और अब उसने लेबनान में सिलसिलेवार सीधी बमबारी की है और हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह को शहीद कर दिया है
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल 7 अक्टूबर से अब तक इजरायली हमलों में 41,500 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हुए हैं जबकि लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।