पटना : स्वामी विवेकानंद ने लिखा था, ‘पहले हर अच्छी बात का मजाक बनाया जाता है, फिर उसका विरोध होता है और अंतत: उसे स्वीकार कर लिया जाता है।’ Nitish
नीतीश कुमार की शराबबंदी योजना पर यह बात सटीक बैठती है। लगता है साल 2017 बिहार के लिए नव बिहार साबित होगा। इसकी बानगी अभी से दिखने लगी है।
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने शराबबंदी का जो झंडा बिहार में बुलंद किया है उसकी सुगबुगाहट अब दूसरे राज्यों में भी दिखने लगी है।
मसलन, यूपी, राजस्थान में भी शराबबंदी की बात उठने लगी है। इधर, नीतीश सरकार ने राजगीर में हुई कैबिनेट बैठक में साल 2017- 2018 के लिए डिस्टिलरी (स्प्रिट बनाने के कारखाने) के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने का फैसला लिया है।
फिलहाल राज्य में इस तरह की 21 डिस्टिलरी चल रही हैं। इन स्प्रिट से शराब बनती है। यह एक बड़ा और साहसिक फैसला है। विपक्ष इसकी लगातार मांग कर रहा था और शराबबंदी के बीच चल रहे इन कारखानों के मुद्दे पर सरकार को चिढ़ा रहा था।
अब इस फैसले से सभी का मुंह बंद हो गया है। इतना ही नहीं बिहार को नशा मुक्त करने का अभियान भी जोरों पर है। 22 मार्च तक यह अभियान चलेगा।
हालांकि, इन सबके बीच राज्य में शराब की तस्करी भी जारी है। तस्करी कैसे रुके, यह नीतीश कुमार के लिए बड़ी चिंता है। फिर भी बिहार को नशामुक्त बनाने के लिए वो अडिग हैं।
इत्तफाकन दूसरे फैसले से भी इनको समर्थन मिला है। मिसाल के तौर पर सुप्रीम कोर्ट का हाल में जारी आदेश है। आदेश के मुताबिक नेशनल और स्टेट हाईवे सड़क के इर्द-गिर्द शराब की दुकानों को पहली अप्रैल 2017 से हटाना होगा।
अब नए लाइसेंस जारी करने की मनाही होगी। इतना ही नहीं 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकेंगी। इस फैसले से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय में एक शराबबंदी को पूरा बल मिला है।
शायद तभी अपनी चेतना यात्रा के अंतिम चरण में नीतीश कुमार ने सीना ठोक कर इसे जायज बताया और कहा कि बिहार में इस वजह से अपराध में भी कमी आई है।
इतना ही नहीं 21 जनवरी को 11 हजार 292 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला शराब बंदी के हिमायत में सूबे की सड़कों पर बनी। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने दावा किया कि दुनिया की सबसे लंबी श्रृंखला किसी सामाजिक मुद्दे पर बिहार में बनी है।
इसके लिए तमाम सरकारी अमले को लगाया गया था। थानों से लेकर सड़कों की दीवारों पर शराबबंदी का नारा लिखा गया। प्रकाश पर्व पर पटना आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शराबबंदी पर नीतीश कुमार की तारीफ कर उनमें और ऊर्जा भर दिया।
तभी तो सभा में सीना ठोक कर नीतीश शराबबंदी की सफलता का दावा करते हैं और प्रधानमंत्री को पूरे देश खासकर भाजपा शासित राज्यों में इसे लागू कराने की बात कहते फिर रहे हैं। मसलन इस मुद्दे पर तारीफ करना अब नरेंद्र मोदी के गले की हड्डी बन गया है।