”दुनियाभर में ऐसे 44 सबसे कम विकसित देश हैं, जिनका योगदान अमरीका के व्यापार घाटे में दो प्रतिशत से भी कम है। अधिक टैरिफ़ थोपे जाने से उनका मौजूदा ऋण संकट और भी बदतर हो जाएगा।”
यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) की शीर्ष अधिकारी रेबेका ग्रीनस्पैन ने गुरूवार को फ़ाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक साक्षात्कार में यह बात कही और यह भी कहा कि अमरीका को अपनी टैरिफ रणनीति पर दोबारा विचार करने की ज़रूरत है।
व्यापार क्षेत्र में पसरी अनिश्चितता पर संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताई है और कहा है कि इसका उन अर्थव्यवस्थाओं पर असर हो सकता है जोकि पहले से ही बदतर हालात का सामना कर रही हैं।
इससे पहले, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी मंगलवार को दिए अपने बयान में कहा था कि “व्यापार युद्ध बेहद नकारात्मक हैं,” और उनके भयावह नतीजे सामने आ सकते हैं।
बताते चलें कि टैरिफ़ किसी देश में आने वाले आयात पर लगाया जाने वाला कर है, जिसका भुगतान आमतौर पर निर्यातक को करना होता है। यह वस्तुओं के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लिया जाता है। एक प्रकार से यह एक अतिरिक्त क़ीमत, जिससे सामान महंगा होता है और इनका भुगतान आमतौर पर उपभोक्ता द्वारा किया जाता है।
यूएन न्यूज़ करते हुए रेबेका ग्रीनस्पैन का कहना है कि UNCTAD द्वारा विकासशील देशों को कई प्रकार से सहयोग मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय व्यापार सम्बन्धों को और भी मज़बूत बनाए जाने की वकालत की। उनका कहना है कि इससे इन देशों को अन्तरराष्ट्रीय व्यापार वार्ता में अपना पक्ष मज़बूती से सामने रखने में मदद मिलेगी।
रेबेका ग्रीनस्पैन मुताबिक़, जब दो मुख्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ शुल्क लगाती हैं, तो इसका असर सिर्फ़ टैरिफ़ युद्ध में शामिल अर्थव्यवस्थाओं पर ही नहीं, बल्कि हर किसी पर पड़ता है। उनका कहना है कि हम पहले से ही कम विकास और ऊँचे कर्ज़ के “नए सामान्य” हालात का सामना कर रहे हैं। ऐसे में इन तारीफ को चिंता का विषय बताते हुए उनका कहना है कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो जाएगी।