2050 तक समुद्री परिवहन क्षेत्र में नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन को हासिल करने के लक्ष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) और पर्यावरण संरक्षण समिति की बैठक में सहमति बनी है। यह समझौता इस वर्ष अक्टूबर में औपचारिक रूप से पारित किया जाएगा और 2027 से प्रभाव में आएगा।
यह समझौता इस वर्ष अक्टूबर में औपचारिक रूप से पारित किया जाएगा और 2027 से प्रभाव में आएगा। बीते कई वर्षों से समुद्री परिवहन के कारण होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के मुद्दे पर वार्ता के बाद पिछले सप्ताह यह सहमति बनी।
इस समझौते की घोषणा शुक्रवार को हुई, जिसके तहत ईंधन इस्तेमाल के लिए अनिवार्य मानक निर्धारित किए गए हैं और जहाज़ों द्वारा कार्बन उत्सर्जन की क़ीमत (carbon pricing) आंकने के लिए नई व्यवस्था बनाई गई है।
ये नियम उन बड़े समुद्री जहाज़ों पर लागू होंगे, जिनका कुल भार पाँच हज़ार ग्रॉस टन से अधिक है। ऐसे जहाज़ समुद्री परिवहन से होने वाले कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में से 85 प्रतिशत के लिए ज़िम्मेदार हैं।
अन्तरराष्ट्रीय समुद्री संगठन के महासचिव आर्सेनियो डोमिंगुएज़ ने इस ऐतिहासिक समझौते को एक बड़ी सफलता बताते हुए, इसे देशों के बीच सहयोग की भावना का नतीजा करार दिया है।
उन्होंने कहा कि MARPOL Annex VI में संशोधनों के मसौदे को मंज़ूरी मिलना, जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारे सामूहिक प्रयासों की दिशा में एक अहम क़दम को दर्शाता है।
इन संशोधनों में नैट-शून्य फ़्रेमवर्क को अनिवार्य बनाया गया है, साथ ही, समुद्री परिवहन के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने की बात कही गई है। यह समझौता इस वर्ष अक्टूबर में औपचारिक रूप से पारित किया जाएगा और 2027 से प्रभाव में आएगा।
MARPOL Annex VI से तात्पर्य, समुद्री जहाज़ों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए स्थापित अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन के तहत उन प्रावधानों से है, जो विशेष रूप से वायु प्रदूषण की समस्या पर केन्द्रित है।
गौरतलब है कि इसमें पहले से ही जहाज़ों के लिए ऊर्जा दक्षता (energy efficiency) से जुड़े अनिवार्य प्रावधान शामिल हैं। अब तक 108 देश इस समझौते से जुड़ चुके हैं, जिसमें टन भार के आधार पर दुनिया के कुल समुद्री जहाज़ी व्यापार के लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
शुक्रवार को लंदन में संपन्न हुई इन वार्ताओं को काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमरीका सहित लगभग एक दर्जन देश इस प्रस्तावित रूपरेखा के ख़िलाफ़ थे। लेकिन अन्त में इस मसौदे को वोटिंग के ज़रिये स्वीकृति मिल गई।
इस नए फ़्रेमवर्क में दोहरा दृष्टिकोण अपनाया गया है। पहला, एक वैश्विक ईंधन मानक, जो हर साल समुद्री ईंधनों की ग्रीनहाउस गैस तीव्रता (fuel intensity) को धीरे-धीरे कम करेगा।
दूसरा, एक ग्रीनहाउस गैस मूल्य निर्धारण प्रणाली, जिसमें ज़्यादा प्रदूषण करने वाले जहाज़ों को अपने अतिरिक्त ग्रीनहाउस उत्सर्जन के लिए भुगतान करना होगा।
इस नई व्यवस्था के तहत, जो जहाज़ उत्सर्जन की तय सीमा को पार करेंगे, उन्हें तयशुदा प्रक्रिया के तहत अपने अतिरिक्त प्रदूषण की भरपाई करनी होगी।
वहीं, जो जहाज़ शून्य या लगभग शून्य उत्सर्जन के साथ काम करेंगे, उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएँगे, जिससे स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल समुद्री परिवहन की दिशा में बाज़ार आधारित बदलाव को बढ़ावा मिलेगा।
आईएमओ नैट-शून्य कोष द्वारा कार्बन मूल्य निर्धारण प्रणाली से जुटाए गए राजस्व को एकत्र किया जाएगा। यह कोष विकासशील देशों में नवाचार, अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और परिवर्तनकारी योजनाओं को सहयोग देगा।