काठमांडू। संविधान में किसी प्रकार के संशोधन के विरोध में एमाले के तीन दिवसीय बंद की घोषणा के तहत शुक्रवार को तराई के रूपनदेही, कपिलवस्तु, पाल्पा, चितवन, नवलपरासी दांग से जुड़े पहाड़ी इलाकों में जबर्दस्त बंदी रही। बंद के दौरान व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अलावा स्कूल कालेज, पेट्रोलपंपों पर बंदी रही। सड़कें सूनी रहीं। एमाले के बंद के विरोध में मधेस दल भी सड़कों पर उतरे। इन जिलों के तराई के हिस्सों में बंदी का खास असर नहीं दिखा। nepal
नेपाल में संविधान संशोधन का मामला फिर गर्माने लगा है। प्रचंड सरकार ने मधेसी दलों की मांग पर तराई के पांच जिलों का सीमांकन बदलने के लिए संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव संसद के पटल पर प्रस्तुत किया है। एमाले ने संविधान में किसी प्रकार के संशोधन का विरोध किया है।
उसका कहना है कि लागू संविधान में कोई गलती नहीं है। वह पूरी तरह जनहित में है। लेकिन यदि संशोधन कर पांच नंबर प्रदेश से पहाड़ के हिस्सों को अलग किया गया तो जनाक्रोश भड़क सकता हे। उधर, मधेसी दल एमाले के इस तर्क के विरोध में खड़े हो गए हैं। बहरहाल संविधान में संशोधन और उसके विरोध को लेकर मधेस दल तथा एमाले आमने-सामने हैं।
बता दें कि सुशील कोइराला के कार्यकाल में नेपाल का नया संविधान लागू किया गया था। मधेस दलों ने इस संविधान को तराई के हितों के प्रतिकूल बताते हुए आंदोलन छेड़ दिया था। करीब पांच माह तक चले इस आंदोलन में लगभग 55 मधेसी मारे गए थे। सुशील कोइराला के बाद सत्तारूढ़ हुई एमाले की सरकार के समय मधेसी दलों का आंदोलन काफी उग्र था।
प्रचंड के समर्थन से एमाले की सरकार नौ माह बाद सत्ताच्युत हो गई। दूसरी बार प्रचंड प्रधानमंत्री बने। इन्हें मधेसी दलों का समर्थन इस शर्त के साथ हासिल हुआ कि वे संविधान में संशोधन कर मधेसी हितों का समावेश करेंगे। वादे के अनुसार प्रचंड सरकार ने संसद के पटल पर संविधान संशोधन प्रस्ताव पेश कर दिया। संशोधन हुआ तो नेपाल के पांचवें प्रदेश में से पहाड़ के हिस्से अलग हो जाएंगे।
तराई के 11 जिलों के पांचवें प्रदेश में पहाड़ के भी हिस्से हैं। इसे उत्तर दक्षिण के हिसाब से सीमांकित किया गया है। मधेसी नेताओं को पहाड़ के हिस्से को समाहित करने को लेकर मतभेद है। वे तराई के दो प्रदेश में भी विभाजित करने के पक्ष में नहीं है। उनकी मांग एक मधेस एक प्रदेश की है। संघीय मधेसी फोरम के अध्यक्ष उपेंद्र यादव का कहना है कि तराई के जिलों में पहाड़ के हिस्सों को समायोजित कर मधेसियों को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश है।
भैरहवा,नेपाल। नेपाल के गुल्मी जिले में पुलिस और बंद करा रहे एमाले कार्यकर्ताओं के बीच जमकर झड़प हुई। झड़प के दौरान एमाले के सांसद कमला विश्वकर्मा सहित 14 लोग घायल हुए। घायलों में दो पुलिस कर्मी भी हैं, जिनकी हालत काफी गंभीर बताई जा रही है।
पूर्व घोषित बंदी के दौरान गुल्मी जिले के सरकारी कार्यालयों में तालाबंदी करने पहुंचे एमाले प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। पहाड़ के गुल्मी जिले को प्रदेश नंबर पांच से अलग किए जाने के विरोध में एमाले कार्यकर्ताओं ने पूरे जिले में विरोध प्रदर्शन के साथ बंदी का आह्वान किया है। बंदी कराने और बंद का विरोध करने के दौरान पुलिस से कई जगह झड़प हुई।