संयुक्त राष्ट्र के जो भागीदारों इस समय शिक्षा के क्षेत्र में गाज़ा में काम कर रहे हैं उन्होंने वहां तुरंत और तत्काल सहायता की अपील की है। पिछले 15 महीनों से जारी युद्ध के कारण गाज़ा के लगभग 95 प्रतिशत शिक्षा भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
गाज़ा में हालात इतने खराब हैं कि यहाँ छात्र सर्दियों के बेहद ठंडे मौसम में अस्थाई तम्बुओं और खुले स्थानों पर लगने वाली कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। यहाँ शैक्षिक गतिविधियों का भी विस्तार जारी है। करीब ढाई लाख से अधिक बच्चों ने संयुक्त राष्ट्र फ़लस्तीन शरणार्थी एजेंसी UNRWA द्वारा संचालित दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में नामांकन कराया है।
ओसीएचए ने पश्चिमी तट की स्थिति पर भी जानकारी मुहैया कराई है जहाँ तुलकरेम और जेनिन में इसरायली बलों सैन्य हमलों के कारण हताहतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बारे में एजेंसी का कहना है कि यह दो दशकों में पश्चिमी तट पर सबसे बड़ा इसरायली सैन्य अभियान है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और भारी संख्या में लोगों का विस्थापन भी हुआ है, ख़ासतौर पर शरणार्थी शिविरों में। यहाँ महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को भी गम्भीर नुक़सान पहुँचने से मानवीय ज़रूरतें और भी बढ़ गई हैं।
यहाँ पहुंचे जाने वाली मदद के तहत ख़ान यूनिस में लगभग 450 परिवारों को अल मवासी के विस्थापन स्थल पर अल्पकालिक आश्रय, रसोई सैट और स्वच्छता किट बनाने के लिए, ज़रूरी सामान मुहैया कराया जा रहा है। ओसीएचए का कहना है कि वह प्रभावित समुदायों की सहायता के लिए संसाधन जुटा रही हैं। ओसीएचए ने फिर से चेतावनी देते हुए इन अभियानों के दौरान घातक तथा युद्ध जैसी रणनीति के उपयोग और क़ानून लागू किए जाने के मानकों से अधिक बल के प्रयोग को चिन्ताजनक बताया है।
इन सबके बीच पश्चिमी तट में यहूदी बस्तियाँ बसाने वाले लोगों द्वारा स्थानीय फ़लस्तीनियों और उनकी सम्पत्तियों पर हमले की खबरें भी लगातार आ रही हैं। इन ख़बरों में कहा गया है कि इसरायली लोगों ने सप्ताहान्त में नबलूस गवर्नरेट के कई गाँवों में फ़लस्तीनी निवासियों पर हमला किया।
बताते चलें कि इसरायल की संसद क्नैसेट ने अक्टूबर 2024 में UNRWA को इसरायली क्षेत्र में काम करने से प्रतिबन्धित करने और राष्ट्रीय अधिकारियों व एजेंसी के प्रतिनिधियों के बीच सम्पर्क रहित नीति लागू करने वाले दो विधेयकों पारित किए थे। ये विधेयक क़ानून के रूप में जनवरी 2025 में लागू हो गए।