‘2025 नेचर इंडेक्स-कैंसर’ सप्लीमेंट की प्रकाशित एक रिपोर्ट वैश्विक कैंसर अनुसंधान में होने वाले बदलाव का खुलासा करती है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक रैंकिंग में भारत अभी शीर्ष देशों से पीछे है।
रिपोर्ट जहाँ एक तरफ यह बताती है कि अनुसंधान के मामले में पहली बार चीन ने 2024 में अमरीका को पीछे छोड़ दिया है वहीँ इससे अमरीकी अनुसंधान की उच्च गुणवत्ता की जानकारी भी मिलती है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन का कैंसर अनुसंधान में शेयर 2024 में 19 फीसद की वृद्धि के साथ 2,614.5 तक पहुंच गया। यह आंकड़ा 145 प्रतिष्ठित प्राकृतिक और स्वास्थ्य विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध लेखों के लेखकों के योगदान पर आधारित है।
पिछले लंबे समय से कैंसर अनुसंधान में अग्रणी अमरीका ने 2024 में 5 फीसद की वृद्धि के साथ 2,481.7 शेयर हासिल किए। गौरतलब है कि 2019 से अगस्त 2024 तक के संचयी आंकड़ों में अमरीका कुल कैंसर अनुसंधान में शीर्ष पर है। स्वास्थ्य विज्ञान और नैदानिक अनुसंधान में अमरीका का शेयर 2023 में 5,019.46 था।
इस बीच जहाँ हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने 1,169.18 शेयर के साथ वैश्विक नेतृत्व बनाए रखा वहीँ कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 17.8% की वृद्धि दर्ज की।
गौरतलब है कि एनआईएच यानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के बजट में प्रस्तावित 40 फीसद कटौती से अमरीकी अनुसंधान पर असर पड़ सकता है। साल 2024 में अमरीका में 25.10 लाख नए कैंसर मामले और 6.40 लाख मौतें दर्ज की गईं जिनमें स्तन कैंसर सबसे अधिक था।
भारत वैश्विक शीर्ष 10 देशों में शामिल नहीं है। सीमित अनुसंधान और इस क्षेत्र में कम निवेश इसका प्रमुख कारण है। जहाँ भारत का R&D व्यय जीडीपी का केवल 0.7फीसद है जो चीन के 2.4 एवं अमरीका के 3.5 फीसद की तुलना में बहुत कम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 2024 में लगभग 15 लाख नए मामले और 7 लाख से अधिक मौतें हुईं। देश में कैंसर अनुसंधान में प्रगति तो हो रही है मगर इसके बावजूद यह वैश्विक अग्रणी देशों से पीछे है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के आधार पर 2022 के आंकड़े – भारत में 14.61 लाख नए कैंसर मामले दर्ज हुए। यह प्रति लाख जनसंख्या पर 100.4 की दर से हैं।
इसके 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंचने का अनुमान है।यहाँ भी महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले 1.92 लाख की संख्या के साथ 13.6% फीसद हैं। पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर प्रमुखता से पाया गया।