वाशिंगटन: अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 16 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक अंतरिक्ष यान से लेजर सिग्नल प्राप्त करने का एक सफल परीक्षण किया है।
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा कि लेजर की मदद से लाखों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष यान को भेजे गए संदेश में अंतरिक्ष संचार को बदलने की क्षमता है।
संदेश का मिलना नासा के डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (डीएसओसी) प्रयोग की सफलता का संकेत देता है। यह पहली बार है कि चंद्रमा से 40 गुना दूर अंतरिक्ष यान से लेजर डेटा सफलतापूर्वक ट्रांसफर किया गया है।
वर्तमान में संचार, अंतरिक्ष में मौजूद सभी अंतरिक्ष यानों से रेडियो सिग्नल की मदद से किया जाता है, जबकि सिग्नल दुनिया भर में स्थापित बड़े एंटेना से भेजे और प्राप्त किए जाते हैं।
https://twitter.com/cnnphilippines/status/1728540348517949669
हालाँकि संदेश भेजने का यह तरीका विश्वसनीय साबित हुआ है, लेकिन इसमें सीमित बैंडविड्थ है जिसका अर्थ है कि एचडी फ़ोटो और वीडियो जैसी बड़ी फ़ाइलें भेजना धीमा और असंभव है।
अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, डीएसओसी पर नासा के काम का उद्देश्य लेजर के माध्यम से ऑप्टिकल संचार का उपयोग करना है। यह तकनीक डेटा दर को 100 गुना तक बेहतर कर सकती है।
चंद्रमा से अधिक दूरी पर इस तकनीक का परीक्षण करने का पहला प्रयास नासा के साइकी मिशन के रूप में किया गया था। पिछले महीने लॉन्च किया गया मिशन पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में एक छोटे तारे (asteroid) का अध्ययन करना था।
अंतरिक्ष यान एक लेजर ट्रांसीवर ( transceiver) से लैस है जो करीबी इंफ्रारेड लेजर सिग्नल को प्राप्त और प्रसारित कर सकता है। नासा का कहना है कि ‘फर्स्ट लाइट’ की सफलता प्रयोगों की एक श्रृंखला का हिस्सा है जो यह उम्मीद जगाती है कि लेजर तकनीक काम कर सकती है।