ओस्लो में किया गया एक अध्ययन बताता है कि मानसिक रूप से कठिन नौकरी आपके डिमेंशिया विकसित होने की संभावना को कम कर सकती है।
नॉर्वे के ओस्लो यूनिवर्सिटी अस्पताल में किए गए एक अध्ययन के दौरान कुछ ऐसे ही नतीजे सामने आये हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तक़रीबन 7 हज़ार लोगों की जांच की। ये सभी लोग 305 विभिन्न व्यवसायों से जुड़े हुए थे।
शोध से पता चला है कि काम के दौरान मस्तिष्क पर जितना अधिक तनाव होगा, जीवन में बाद में सोचने और याददाश्त संबंधी समस्याओं का अनुभव होने की संभावना उतनी ही कम होगी।
जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित शोध में पाया गया कि ऐसी नौकरियां जो दिमाग को उत्तेजित करती हैं लेकिन दोहराव वाली नहीं होती हैं वे मस्तिष्क के लिए अच्छी होती हैं। जबकि सफाई जैसे काम करने वाले लोगों में इस विकार का खतरा अधिक होता है।
New Study Published in @GreenJournal: Does Using Your Brain More at Work Help Ward Off Thinking, Memory Problems? https://t.co/KBIWJuP5cq#AANscience #Neurology pic.twitter.com/PEF6x7mrBP
— American Academy of Neurology (@AANmember) April 19, 2024
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में भाग लेने वालों की नौकरी के कारण उनकी मस्तिष्क गतिविधि की जांच की और परिणामों के आधार पर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया।
विश्लेषण में पाया गया कि जिन लोगों की नौकरियां मानसिक रूप से कम कठिन थीं, उनमें हल्की संज्ञानात्मक हानि होने की संभावना 42 प्रतिशत अधिक थी।
जबकि जिनकी नौकरियों के लिए अधिक मानसिक क्षमताओं की आवश्यकता थी, उनमें इन समस्याओं का अनुभव होने की संभावना 27 प्रतिशत अधिक थी।
इस अध्ययन के आधार पर जानकारों का मानना है कि मानसिक रूप से कठिन मेहनत कराने वाली नौकरी अगर तकरार से जुड़ी नहीं है तो डिमेंशिया विकसित होने की संभावना को कम कर सकती है।