देश में पहली जून से कई बड़े वित्तीय बदलाव लागू होने जा रहे हैं। इनमे आधार अपडेट से लेकर क्रेडिट कार्ड के नियमों में बदलाव और एटीएम ट्रांजैक्शन चार्ज में वृद्धि आदि शामिल हैं।
इसके अलावा जीएसटी इनवॉइस फॉर्मेट और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव की सम्भावना के अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में गिरावट की भी खबर है।
ऐसे में अपनी आर्थिक योजनाओं के प्रति सचेत रहने के लिए इन बदलावों से ज़रूर आगाह रहें ताकि अपने बजट के अनुसार चलने में समस्या न हो।
यूआईडीएआई द्वारा बढ़ाई गई निशुल्क आधार अपडेट सुविधा 14 जून 2025 को समाप्त हो रही है। जिन कार्ड धारकों को नाम, पता, जन्म तिथि सही कराना हो तो इसे 14 जून से पहले करा ले। इसके बाद अपडेट करने पर 50 रुपए का शुल्क देना होगा।
अब टीएम से बार-बार पैसे निकालना महंगा पड़ सकता है। अभी अधिकतर बैंक 3 से 5 फ्री ट्रांजैक्शन की अनुमति देते हैं।इसके बाद हर ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। अतिरक्त खर्च से बचने के लिए छोटी खरीदारी के लिए यूपीआई या डिजिटल वॉलेट का उपयोग करें।
आरबीआई की मौद्रिक नीति की बैठक 6 जून को होनी है, जिसमें रेपो रेट में कटौती की संभावना है। ऐसे में फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें घट सकती हैं। ऐसा होने पर एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जैसे बड़े बैंक एफडी पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। ऐसा होने पर सबसे ज़्यादा प्रभावित वह तब्क़ा होगा जो एफडी से नियमित आय पर निर्भर रहते हैं।
पहली जून से कई बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड के शुल्कों में बढ़ोतरी होने की सम्भावना है। ऑटो-डेबिट फेल होने की स्थिति में ट्रांसैक्शन राशि का 2% तक जुर्माना लग सकता है।इसके अलावा यूटिलिटी बिल, ईंधन और विदेशी लेन-देन पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।
कई बैंक रिवॉर्ड पॉइंट्स में कटौती भी कर सकते हैं। इनमें खासकर कैशबैक और इंटरनेशनल खर्चों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने की सम्भावना है। इससे बचने के लिए अपने बैंक से नवीनतम नियम जरूर जांचें और हाई-फीस वाले ट्रांजैक्शन से बचें।
बताते चलें कि हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों की समीक्षा की जाती है। इस बार ईंधन कीमतों में वृद्धि के कारण घरेलू सिलेंडर की कीमत बढ़ने की उम्मीद है। इससे जहाँ एक तरफ मध्यम वर्गीय परिवारों के बजट पर असर आएगा वहीँ सब्सिडी वाले सिलेंडर पर निर्भर परिवारों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
एक और बड़े बदलाव के तहत जीएसटी नेटवर्क द्वारा इनवॉइस नंबरिंग सिस्टम में बदलाव की खबर है। पहली जून से इनवॉइस नंबर केस-सेंसिटिव होंगे। इसका मतलब हुआ कि “abc”, “ABC”, और “Abc” को एक जैसा माना जाएगा। ऐसे में सभी इनवॉइस अपने आप कैपिटल लेटर्स में बदले जाएंगे।
इन समस्याओं से बचने के लिए कारोबारी अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर को अपडेट करा लें जिससे नियमों का उल्लंघन न हो।