आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने हवा से कार्बन डाइऑक्साइड निकालने के लिए एक विशाल वैक्यूम तैयार किया है।
आइसलैंड में मैमथ ने एक निष्क्रिय ज्वालामुखी पर स्थित अपनी तरह की सबसे बड़ी कार्बन डाइऑक्साइड संग्रहण और भंडारण सुविधा ने इस सप्ताह अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
मैमथ के 72 औद्योगिक पंखों (industrial fans) की मदद से, स्विस स्टार्ट-अप क्लाइमवर्क्स द्वारा सालाना 36,000 टन CO2 को हवा से सोखकर भूमिगत दफनाने का प्लान है। यह साबित करने के लिए कि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ़ लड़ाई में प्रौद्योगिकी का एक स्थान है।
ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में टेक्नोलॉजी का भी अपना स्थान है। विशाल संयंत्र विशाल स्टील के पंखों का उपयोग करता है जो कार्बन डाइऑक्साइड को आसवित करने के बाद इस गैस को पानी में घोलते हैं और इसे जमीन में गहराई तक पंप करते हैं।
प्लांट की निर्माण कंपनी क्लिमवर्क्स के अनुसार, पूरी क्षमता पर काम करते हुए इसके वैक्यूम प्रति वर्ष 36,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड को डिस्टिल करने की क्षमता रखते हैं। मैमथ प्लांट का निर्माण जून 2022 में शुरू हुआ था जबकि ये प्लांट अभी कुछ दिन पहले ही शुरू हुआ है।
हालाँकि वैश्विक उत्सर्जन की तुलना में इस तरह आसवित की गई मात्रा बहुत कम है। फिर भी कंपनी का मानना है कि ऐसे पंप जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।
2050 तक दुनिया को “कार्बन तटस्थता” (carbon neutrality) प्राप्त करने के लिए हवा से प्रति वर्ष छह से 16 बिलियन टन CO2 हटाना होगी। क्लाइमवर्क्स के सह-संस्थापक और सह-प्रमुख जान वुर्जबैकर इसके उद्घाटन के अवसर पर कहते हैं कि 72 कंटेनर वाले इस संयंत्र में हवा से कार्बन एकत्र करने की क्षमता है, हालांकि अभी केवल 12 कंटेनर स्थापित किए गए हैं।
The plant – named ‘Mammoth’ – uses a chemical process to petrify buried #CO2 and make it much less damaging to the #environment. 👇 https://t.co/TVE6zh6odA
— CGTN Europe (@CGTNEurope) May 12, 2024
प्लांट को चलाने के लिए पास के जिओ थर्मल पावर प्लांट से ऊर्जा ली जाती है, जो पंखे चलाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को आसुत करने के लिए फ़िल्टर करने के लिए हवा खींचता है।
फिल्टर भर जाने के समय वे बंद हो जाते हैं और और इस वक़्त इनका आंतरिक तापमान 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विशेषज्ञ निकाय आईपीसीसी के अनुसार, 2015 पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्बन हटाने की तकनीक ज़रूरी है मगर इन जानकारों के मुताबिक़ उत्सर्जन में बड़ी कटौती सबसे महत्वपूर्ण है।