पटना। नोटबंदी के खिलाफ रैलियां करने जा रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को झटका लगा है। उनके दोनों सहयोगी कांग्रेस और नीतीश कुमार की जेडीयू ने 28 दिसंबर से बिहार में नोटबंदी के खिलाफ शुरू होने जा रहे उनके ‘महा धरना’ में शामिल न होने का फैसला किया है। Lalu Yadav
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने मंगलवार को कहा, ”जेडीयू अध्यक्ष और बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काले धन के खिलाफ कदम के तौर पर नोटबंदी का समर्थन किया है। वह 50 दिनों के बाद नोटबंदी के प्रभाव की समीक्षा करेंगे। उससे पहले नोटबंदी के किसी तरह के विरोध के समर्थन या उसमें शामिल होने का सवाल हीं नहीं है।” बिहार कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी के धरने में हिस्सा नहीं लेगी। चौधरी बिहार के शिक्षामंत्री भी हैं, उन्होंने कहा, ”नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी के धरने को कांग्रेस अपना समर्थन नहीं देगी।”
लालू ने घोषणा की थी कि नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी सभी जिला मुख्यालयों पर 28 दिसंबर से जुलूस रैली करेगी। इसके बाद 2017 की शुरुआत में पटना में एक बड़ी रैली भी की जाएगी। नीतीश कुमार से उलट, लालू लगातार नोटबंदी का विरोध करते रहे हैं। नोटबंदी को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में मंगलवार को विपक्ष ने संसद के बाहर बैठक और संविधान क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें सभी विपक्षी दलों को शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से न्योता भेजा गया था, मगर कई बड़ी पार्टियां नहीं आईं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, जेडीएस, जेएमएम, एआईयूडीएफ के सदस्यों ने हिस्सा लिया। जबकि बसपा, सपा, एनसीपी, सीपीआई, जेडीयू, सीपीएम जैसे प्रमुख विपक्षी दलों के प्रतिनिधि गायब रहे।
23 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत में राजद सुप्रीमो ने दावा किया था कि नीतीश 28 दिसम्बर को नोटबंदी के खिलाफ प्रस्तावित पार्टी के महारैली में शिरकत करेंगे। लेकिन 24 घंटे बाद लालू प्रसाद यादव ने अपने बयान से पलटी मार दी। 24 को उन्होंने कहा, ‘‘मैं कौन होता हूं नीतीश कुमार को टर्म्स डिक्टेट करने वाला।”
नीतीश के करीबी नेताओं ने बताया कि काफी सोच समझकर उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया है। हालांकि, नीतीश कुमार ने कहा था कि 50 दिन के बाद उनका दल नोटबंदी पर लिए गए अपने स्टैंड की समीक्षा करेगा और आगे की रणनीति तय करेगा।