केरल और पंजाब ने अपने राज्यों में नागरिकता संशोधन विधेयक कैब को लागू करने से मना कर दिया है।भारत के पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बताया। द वायर के अनुसार उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस विधेयक को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि राज्य विधानसभा में बहुमत वाली कांग्रेस सदन में इस असंवैधानिक अधिनियम को रोक देगी।उन्होंने कहा, उनकी सरकार इस कानून के जरिए देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बिगाड़ने नहीं देगी। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर बल दिया।
इसी बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी नागरिकता संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताया और कहा कि उनका राज्य इसे नहीं अपनाएगा। केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार भारत को धार्मिक तौर पर बांटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह विधेशक, समानता और धर्मनिरपेक्षता को तहस-नहस कर देगा। पिनरई विजयन ने मीडिया से कहा कि इस्लाम के खिलाफ भेदभाव करने वाले सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण कानून के लिए केरल में कोई जगह नहीं है। ज्ञात रहे कि बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर भारत के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
दूसरी ओर पांच वाम दलों ने 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी संयुक्त विरोध की घोषणा की है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने कहा कि विधेयक ने संविधान का उल्लंघन किया है और इसका उद्देश्य भारत की धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक नींव को नष्ट करना है।
ज्ञात रहे कि इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं।