आगरा। आगरा में शिक्षकों की ढेरों शिकायतों एवं मांगों से दो-चार होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने उनसे कहा कि वह बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के दूत नहीं हैं। भागवत ने विश्वविद्यालयी व महाविद्यालयी शिक्षक सम्मेलन में हिस्सा लिया, जहां उत्तर प्रदेश के 11 जिलों के शिक्षक पहुंचे थे।
यहां पर शिक्षकों ने भावगत के सामने अपनी ढेरों शिकायतें रखीं। इस पर भागवत ने कहा कि आरएसएस एक स्वतंत्र संगठन है और उन्हें अपना मुद्दा सरकार के सामने रखना होगा। मैं जानता हूं कि आप सभी सोच रहे होंगे कि मैं सरकार का दूत हूं, लेकिन यह सच नहीं है। मैं पेंशन, कार्यस्थल पर उत्पीडऩ एवं अन्य मुद्दों के संबंध में आपकी मदद नहीं कर पाऊंगा। उन्होंने कहा कि मैं आपसे मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखने का अनुरोध करूंगा। भावगत से शिक्षकों से बदलाव का वाहक बनने और विद्यार्थियों में राष्ट्रीय भावनाएं मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वह शिक्षा के क्षेत्र की समस्याओं से अवगत हैं, लेकिन एनडीए सरकार के प्रतिनिधि नहीं हैं। घटती हिंदू जनसंख्या के मुद्दे पर उन्होंने कहा, कौन सा कानून कहता है कि हिंदुओं की जनसंख्या नहीं बढ़नी चाहिए। जब अन्यों की जनसंख्या बढ़ रही है तो उन्हें कौन रोक रहा है। मुद्दा हमारी व्यवस्था से जुड़ा नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सामाजिक माहौल ऐसा है। भागवत ने अपने चार दिवसीय प्रवास के तहत आगरा कॉलेज में युवा दंपतियों को संबोधित किया। उनका विभिन्न सामाजिक वर्गों एवं पेशेवरों के समूहों के साथ संवाद का कार्यक्रम है।