एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि रेड मीट और चीनी के सेवन से युवाओं में ‘कोलोरेक्टल कैंसर’ हो रहा है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार युवा लोगों में कोलन कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, और वर्ष 2030 में संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 से 49 वर्ष की आयु के लोगों में कोलन कैंसर से सबसे अधिक मौतें होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
दूसरी ओर एक और अध्ययन में शामिल एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि हम वास्तव में रेड मीट और चीनी से होने वाले कैंसर के कारणों के बारे में बहुत कम जानते हैं।
इस अध्ययन के लिए लोगों के दो समूहों की तुलना की गई। एक समूह युवा था और उसे कोलन कैंसर था जबकि दूसरे समूह को अधिक उम्र में कैंसर था।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन से निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों को 50 वर्ष से कम उम्र के कोलोरेक्टल कैंसर का पता चला था उनमें साइट्रेट (एक पदार्थ जो शरीर में भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए बनाया जाता है) का स्तर कम था।
कोलन कैंसर से बचाव के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि पत्तेदार और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं और चीनी को सीमित करें।
शोधकर्ताओं ने नोट किया कि आहार में प्रोटीन का प्रकार बहुत मायने रखता है, और अध्ययन में पाया गया कि प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के प्रकार (यानी, रेड मीट से प्रोटीन) ने शरीर में कारक पैदा किए जिससे कोलन कैंसर के खतरे का जोखिम कई गुना बढ़ गया है।
इस अध्ययन के परिणामों के बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि रेड मीट और चीनी का सेवन कम उम्र में कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ा हो सकता है और इसे रोकने का मुख्य तरीका अपने आहार में बदलाव करना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हम जानते हैं कि हमें क्या करना चाहिए, पत्तेदार और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं और चीनी को सीमित करें।
इसी तरह प्रोसेस्ड फूड और रेड मीट को सीमित करके चिकन या फिश मीट या दालों का सेवन भी पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन प्रदान कर सकता है।
कोलन कैंसर के लक्षण क्या हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार कोलन कैंसर के लक्षणों में मल में खून आना, मल त्याग के समय दर्द या पेट में दर्द, कमजोरी, थकान और वजन कम होना शामिल है।