नई दिल्ली । नोटबंदी के बाद देश के बैंकिंग क्षेत्र का हुलिया बदल गया है। बैंकों का सारा जोर अभी करेंसी चेस्ट से नकदी लाकर आम जनता के बीच इसे बांटने और नगदी जमा करने में लगा हुआ है। लेकिन सरकार का मानना है कि नोटबंदी की प्रक्रिया सरकारी बैंकों के लिए अंतत: मुनाफे का सौदा साबित होगी। जमा राशि में भारी वृद्धि से न सिर्फ बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, बल्कि इससे आम जनता को सस्ती दरों पर कर्ज देने की राह भी खुलेगी। centre hopes
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को तो यहां तक भरोसा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत इतनी सुधर जाएगी कि उन्हें पूंजीकरण के लिए सरकार पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने इन्हें 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने का प्रावधान बजट में किया था। इसमें से 22,915 करोड़ रुपये 13 बैंकों को दिए जा चुके हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो और ज्यादा राशि सरकारी बैंकों को खजाने से दी जाएगी।
वित्त मंत्रालय के अफसर मानते हैं कि नोटबंदी के बाद जिस तरह से भारी नकदी के ढेर पर बैंक बैठे हुए हैं, उसे देखते हुए उन्हें और ज्यादा राशि की जरूरत न पड़े। वजह यह है कि तीसरी तिमाही में इन बैंकों के वित्तीय नतीजे बेहतर रहेंगे। इसलिए इस वर्ष इन्हें और अतिरिक्त फंड की जरूरत नहीं होगी।
जमा में प्राप्त राशि को बैंकों ने सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर अच्छी कमाई की है। इसके अलावा बैंकों के फंसे कर्जे (एनपीए) में भी कमी आएगी। इसकी वजह यह है कि नोटबंदी के बाद एक पखवाड़े के भीतर कई डिफॉल्टरों समेत कर्जदारों ने पुराने नोटों के रूप में 66,000 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। इससे उनके वित्तीय नतीजे बेहतर आने के आसार हैं।
वित्त मंत्रालय का यह भी आकलन है कि बैंक अब कर्ज की दरों को घटाने की स्थिति में हैं। यह उनकी जरूरत भी है। बैंकों के पास भारी मात्रा में जमा राशि है और इसका इस्तेमाल वे कर्ज देने में कर सकते हैं। चूंकि अभी कर्ज की मांग नहीं है, इसलिए कर्ज की दरों में घटाकर बैंक ज्यादा कर्ज वितरित कर सकते हैं।
नोटबंदी के कुछ ही दिनों बाद भारतीय स्टेट बैंक समेत कई सरकारी बैंकों ने ब्याज की दरों में थोड़ी बहुत कमी की थी। अगर केंद्रीय बैंक आरबीआइ ने पिछले हफ्ते रेपो रेट घटा दिया होता तो बैंक अभी तक कर्ज की दरों में एक और कटौती का एलान कर चुके होते। नोटबंदी के बाद कई फंसे कर्ज वाले ग्राहकों ने पुराने नोट में अपने कर्ज की भरपाई की है। इससे भी बैंकों को लाभ पहुंचा है।