देश के प्रथम सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया। इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस रावत की पत्नी मधुलिका रावत सहित 14 लोग सवार थे। ये हादसा तमिलनाडु के कुन्नूर के पास बुधवार दोपहर को हुआ था।
16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में बिपिन रावत का जन्म हुआ था। पिता एलएस रावत सेना में ‘लेफ्टिनेंट जनरल’ के नाम मशहूर थे और उन्होंने बचपन में ही ये करियर चुन लिया था, क्योंकि उनका बचपन ज्यादातर फौजियों के बीच गुजरा था।
प्रारंभिक शिक्षा सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला में पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय सेना अकादमी में प्रवेश लिया और देहरादून चले आये। यहां उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पहला सम्मान-पत्र ‘SWORD OF HONOUR’ प्राप्त हुआ। इसके पश्चात उन्होंने अमेरिका के सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएशन करते हुए हाई कमांड कोर्स भी किया।
सेना प्रमुख का पद 31 दिसंबर 2016 को संभाला
सेना प्रमुख पद से 31 दिसंबर 2019 को इस्तीफा दिया
अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया। कुछ कोशिशों के पश्चात 16 दिसंबर 1978 में उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में प्रवेश मिला। एक इंटरव्यू में उन्होंने जाहिर किया था कि उन्होंने गोरखा बटालियन में रहते हुए जो सीखा, वह कहीं और सीखने को नहीं मिला है।
गोरखा रेजिमेंट में रहते हुए उन्होंने आर्मी की अनेक जैसे क्रॉप, जीओसी-सी , दक्षिणी कमांड, आईएमए देहरादून, मिलेट्री ऑपरेशन डायरेक्टोरेट में लॉजिस्टिक्स स्टाफ ऑफीसर्स आदि पद पर काम करते हुए काफी कुछ सीखा।
बिपिन रावत ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने कांगो के यूएन मिशन में सहयोग दिया। उसी दरम्यान उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवायें देने के कई अवसर मिले और अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं देते हुए उन्होंने 7000 लोगों की जान बचाई।
37 साल के सेना के करियर में बिपिन रावत को तमाम अवार्ड मिले, जिनके बारे में जिक्र करना संभव नहीं है। बिपिन रावत जी को सेना का प्रमुख बनाया गया। उन्हें 31 दिसंबर 2016 को दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी बनाया गया। इस पद पर कार्य करते हुए उन्हें ख्याति मिली. वे भारतीय सेना के 27वें प्रमुख बने। उन्होंने इस पद की कमान 1 जनवरी 2017 को संभाली थी।
बिपिन रावत को केंद्र सरकार ने देश का पहला CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) अधिकारी की कमान 1 जनवरी 2020 को सौंपी।इनका प्रमुख कार्य थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों के बीच बेहतर तालमेल को क्रियान्वित करके कार्य करना था।
बहुमुखी प्रतिभावान व्यक्तित्व के स्वामी बिपिन रावत साहसी, शूरवीर, खिलाड़ी होने के साथ जमीन से जुड़े एवं बहुत अच्छे लेखक भी थे। एक बार उन्होंने भी स्वीकारा था कि वे बहुत अच्छे वक्ता तो नहीं मगर उन्हें लेखन का विशेष शौक स्कूली दिनों से रहा है। अवसर मिलता तो कुछ पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखते थे। अपने लेखों में वे राजनीति पर भी कटाक्ष करते थे।