अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) गठबंधन को मजबूत करने की गरज़ से तीन यूरोपीय देशों की यात्रा करेंगे। इस यात्रा में वह यूनाइटेड किंगडम, लिथुआनिया और फिनलैंड जाएंगे।
व्हाइट हाउस ने इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति बाइडेन का शेड्यूल जारी किया है। अपनी यात्रा के दौरान वह 9-13 जुलाई का समय किंग चार्ल्स III और प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के साथ व्यतीत करेंगे। इसके लिए जो बाइडेन सबसे पहले लंदन, यूनाइटेड किंगडम पहुंचेंगे। यहाँ से 74वें नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वोह 11 – 12 जुलाई तक विनियस, लिथुआनिया की यात्रा करेंगे। इसके बाद यूएस-नॉर्डिक लीडर्स समिट के लिए हेलसिंकी, फिनलैंड का दौरा होगा।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने बाइडेन से पश्चिमी गठबंधन यूक्रेन की रक्षा के लिए एकजुट होने पर ज़ोर दिया था।
बताया जा रहा है कि बाइडन की यूरोप यात्रा का मकसद रूसी आक्रामकता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को मजबूती देना है।
हालाँकि बाइडन की ये पांच दिवसीय यात्रा विशेष रूप से लिथुआनिया के विनियस में आयोजित वार्षिक नाटो शिखर सम्मेलन को केंद्र में रखकर बनाई गई है। नाटो बैठक युद्ध के नवीनतम महत्वपूर्ण बिंदु पर आती है।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस वर्ष 13 जून को व्हाइट हाउस का दौरा किया था। इस यात्रा में उन्होंने बाइडेन से पश्चिमी गठबंधन यूक्रेन की रक्षा के लिए एकजुट होने पर ज़ोर दिया था।
US President #JoeBiden has scheduled a diplomatic trip to Europe this month with stops in the United Kingdom, at the #NATO summit in Lithuania and for meetings in Finland, the White House said Sunday.https://t.co/LC30YLN3D8
— Economic Times (@EconomicTimes) July 3, 2023
यूक्रेन पर रूसी हमले का दूसरा वर्ष चल रहा है। इस हमले के बाद फ़िनलैंड और स्वीडन ने भी सुरक्षा आश्वासन पाने के लिए नाटो गुट में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। तुर्की द्वारा इसकी सदस्यता पर उठाये गए एतराज़ वापस लिए जाने के बाद फिनलैंड इस साल अप्रैल में इस गुट में शामिल हो गया।
तुर्की के साथ सुरक्षा मुद्दों के चलते स्वीडन अभी भी इस समूह में शामिल नहीं हो सका है।तुर्की का मानना है कि स्वीडन आतंकवादी समूहों को पनाह देता है। हंगरी ने भी हंगरी के पीएम ओर्बन की आलोचना पर स्वीडन के ब्लॉक में प्रवेश पर एतराज़ जताया है। गौरतलब है कि 24 फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने कई लोगों की जान चली गई है और दोनों देशों के बीच अभी तक किसी तरह का फैसला नहीं हो सका है।