खगोलविदों ने दावा किया है कि उन्होंने सोलर सिस्टम में एक नए ग्रह की खोज में कामयाबी हासिल कर ली है। उनका कहना है कि सौर मंडल में नेप्च्यून के ठीक पीछे काइपर बेल्ट में एक नया ग्रह खोजा गया है, जो हमारे ग्रह पृथ्वी के आकार का है।
काइपर बेल्ट (Kuiper Belt) के अस्तित्व का खुलासा 1951 में अमेरिकी खगोलशास्त्री जेरार्ड काइपर ने किया था। विशेषज्ञों ने ग्रह की खोज का दावा काइपर बेल्ट के अध्ययन के बाद ही किया है।
एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित नए शोध में काइपर बेल्ट के भीतर एक ऐसी वस्तु की पहचान की गई है जिसमें काफी ‘अजीब’ गुण हैं।
काइपर बेल्ट में इस वस्तु को ‘प्लैनेट नाइन’ कहा जाता है क्योंकि इसमें गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पाया गया है और इसलिए यह माना जाता है कि यह वस्तु और कुछ नहीं बल्कि एक ग्रह है।
अरबों साल पहले कई ग्रहों के निर्माण के दौरान सौर मंडल में काइपर बेल्ट सूर्य से बहुत दूर रह गई थी और इसकी अत्यधिक दूरी के कारण वैज्ञानिक इस तक नहीं पहुंच सके थे।
बता दें कि इससे पहले भी खगोलशास्त्रियों ने सौर मंडल के अंत में पृथ्वी जैसा ग्रह छिपा होने का दावा किया था, लेकिन इस बार उन्होंने दावा किया है कि नेपच्यून के पीछे उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़ा ग्रह है।
अंतरिक्ष की पहेली: हमारे सौरमंडल में ही पृथ्वी जैसा ग्रह छिपे होने का दावा#patrika #rajasthanpatrika pic.twitter.com/ZQe8F3VWOT
— Rajasthan Patrika (@rpbreakingnews) September 4, 2023
यदि यह दावा सही साबित होता है तो इस नये ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी से लगभग 1.5 से 3 गुना अधिक होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह काइपर बेल्ट प्लैनेट सूर्य से करीब 500 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट की दूरी पर हो सकता है जो कि सूर्य- पृथ्वी के बीच की दूरी के 500 गुना होती है। आगे उनका कहना है कि यह ग्रह नौवें ग्रह के पास होगा।
Researchers claim to have discovered a new Earth-size planet in the Kuiper Belt, just behind Neptune and estimate it to be much larger than previous researchers predicted.
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विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस ग्रह पर तापमान बहुत कम होना चाहिए जिससे जीवन के होने या पनपने की संभावना कम हो जाती है। उनके अनुसार काइपर बेल्ट में लाखों करोड़ों बर्फीले पिंड हैं जिन्हें ट्रान्स नेप्च्यून ऑब्जेक्ट कहा जाता है। क्योंकि ये नेप्च्यून के आगे ही मिलते हैं इसलिए खगोलविद इसे सौरमंडल का अवशेष मानते हैं, जिनमें चट्टानों, कार्बन और वाष्प होने वाली मीथेन और पानी की बर्फ होती है।