मध्य-पूर्व में ईरान और शिया आंदोलन के बढ़ते प्रभाव ने अमेरिका को लेबनान के दो सांसदों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर कर दिया है। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने लेबनान की संसद के दो हिजबुल्ला सदस्यों को पहली बार प्रतिबंधों की काली सूची में डाला है। इस सूची में शिया आंदोलन के महासचिव हसन नसरुल्ला के करीबी अधिकारी वाफिक सफा को भी डाला गया है।
लेबनान के ईरान समर्थित इस शक्तिशाली शिया समूह पर वैश्विक दबाव बढ़ाने की कवायद के तौर पर अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने यह कार्रवाई की है। मंत्रालय ने लेबनान के सांसद अमीन शेरी और मुहम्मद हसन राड को आतंकवाद से संबंधित काली सूची में डालते हुए कहा कि हिजबुल्ला ने हिंसक गतिविधियों के लिए अपनी संसदीय ताकत का गलत इस्तेमाल किया है।
शिया आंदोलन के महासचिव हसन नसरुल्ला के करीबी एक शीर्ष हिजबुल्ला अधिकारी वाफिक सफा को भी अमेरिका ने काली सूची में डालने का फैसला लिया है। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, ‘हिजबुल्ला की राजनीतिक और सैन्य शाखाओं के बीच का अन्तर बनावटी है। हम अपने सहयोगियों और साझेदारों से हिजबुल्ला को पूरी तरह से एक आतंकवादी संगठन घोषित करने का आव्हान करते हैं।’
अमेरिका ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ पर ऐसे ही प्रतिबंध लगाना चाहता था लेकिन इस कार्रवाई से रुक गया है। वित्त मंत्री स्टीवन मुचिन के मुताबिक, जून में ऐसे ही प्रतिबंध लगाए जाने थे। लेकिन गोपनीयता की शर्त पर एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि जरीफ को काली सूची में डाले जाने की फिलहाल कोई योजना नहीं बनी है।
अमेरिका ने तुर्की को लेकर फिर चेतावनी दी है कि यदि वह रूस की मिसाइल प्रणाली खरीदता है तो उसे इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने पिछले महीने ट्रंप से मिलने के बाद कहा था कि उन्हें भरोसा है कि एस-400 खरीदने पर तुर्की प्रतिबंधों का सामना नहीं करेगा। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागुस ने कहा, ‘यदि तुर्की एस-400 स्वीकारता है तो वह वास्तविक और नकारात्मक परिणामों का सामना करेगा।’