दुनिया भर में काफी लोगों की सुबह चाय के बिना नहीं होती है और इसके स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में सोचे बिना दूध और पत्ती वाली चाय को प्राथमिकता देना एक आम आदत है। हालाँकि ग्रीन टी या ब्लैक टी के सेहत से जुड़े बड़े फायदे हैं मगर दूध वाली चाय की लत खास कर एशियाई देशों को अपनी गिरफ्त में लिए हुए हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि केवल कैफीन ही जीवनशैली संबंधी विकार, कैंसर और अन्य पाचन रोगों का कारण नहीं बनता है, बल्कि चाय की लत में चीनी का सेवन भी उतना ही हानिकारक है।
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि दूध वाली चाय का उपयोग मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने में सबसे आगे है। पत्तियों और दूध से बनी चाय के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव इस तरह हैं-
मिनिरल्स और विटामिन्स के अवशोषण में समस्याएँ
चाय में टैनिन नामक जटिल यौगिक होते हैं जो कुछ खाद्य पदार्थों से शरीर में आयरन के अवशोषण को प्रभावित करते हैं। आयरन की कमी से एनीमिया या खून की कमी जैसी बीमारियाँ होती हैं।
शोध के अनुसार, चाय में मौजूद ये यौगिक भोजन में विटामिन और खनिजों, विशेष रूप से कैल्शियम और आयरन के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आयरन की कमी से पीड़ित लोगों को भोजन के कम से कम आधे घंटे या 40 मिनट बाद चाय पीनी चाहिए ताकि शरीर की विटामिन और खनिज को अवशोषित करने की क्षमता प्रभावित न हो।
डिहाइड्रेशन का खतरा
काली पत्ती और दूध से बनी चाय शरीर से पानी की कमी कर देती है, इसमें मौजूद कैफीन ‘वॉटर रिटेंशन’ का कारण बनता है, इसके अधिक सेवन से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए चाय का इस्तेमाल सामान्य दिनचर्या में ही नहीं, खासकर गर्मियों में भी कम करना चाहिए।
आठ घंटे की नींद के बाद हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है क्योंकि इस दौरान शरीर पानी नहीं ले पाता है, इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने दिन की शुरुआत पानी से करने को अपनी आदत बना लें।
एसिडिटी का बढ़ना
नाश्ते से पहले इसका सेवन करने से एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है जिससे सीने में जलन, इनडाइजेशन और बार-बार डकार आने लगती है।
जिन लोगों को सुबह-सुबह चाय पीने की आदत है, उन्हें बदलाव के साथ पहले ठोस आहार लेना चाहिए और फिर नाश्ते के कम से कम आधे घंटे बाद चाय पीनी चाहिए।
मानसिक चिंता और तनाव का कारण
चाय बनाने के प्रकार के आधार पर एक कप चाय में औसतन 11 से 61 मिलीग्राम कैफीन हो सकता है। चाय की पत्तियों में प्राकृतिक रूप से कैफीन होता है और चाय या किसी अन्य रूप में कैफीन का अत्यधिक सेवन चिंता, बेचैनी और तनाव का कारण बन सकता है।
दांतों की समस्या
रोजाना चाय का सेवन करने से मुंह में ‘बैक्टीरिया’ की मात्रा बढ़ जाती है, जो दांतों की सड़न का कारण बनता है। इसलिए रात के खाने के बजाय नाश्ते के बाद चाय को अपने आहार में शामिल करना बेहतर निर्णय होगा।
सिरदर्द के कारण
कैफीन के सेवन से सिरदर्द की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका प्रभाव हानिकारक होता है। ऐसे में ज्यादा चाय पीने से सिरदर्द हो सकता है।
शोध के मुताबिक, रोजाना 100 मिलीग्राम कैफीन का सेवन भी सिरदर्द का कारण बन सकता है, लेकिन यह मात्रा व्यक्ति की सहनशीलता पर निर्भर करती है।
कैफीन की अधिकता और नींद की कमी
चाय में कैफीन होता है, जो ऊर्जा और सक्रिय दिमाग को बढ़ावा देता है, बहुत अधिक चाय आपकी आरामदायक नींद छीन सकती है और कई समस्याओं से दो चार करा सकती है।
नींद की कमी से कई समस्याएं होती हैं जैसे थकान, कमजोर याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है, जबकि इससे मोटापा और ब्लड शुगर बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है।
शोध से सम्बंधित रिपोर्ट के अनुसार, बिस्तर पर जाने से कुछ घंटे पहले सिर्फ 200 मिलीग्राम कैफीन का सेवन नींद की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में जो लोग चाय पीने के कारण नींद की कमी से परेशान हैं, उन्हें इसकी मात्रा कम करने पर विचार करना चाहिए।