वैश्विक तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है। गर्मी से जुड़े कई देशों के वर्षों के रिकॉर्ड टूट गए हैं। गर्मी के प्रकोप को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित विश्वभर के देश कोशिशों में जुटे हैं। वैज्ञानिक इस संबंध में बढ़ते वैश्विक तापमान के मुख्य कारणों का खुलासा करने के साथ दुनिया को इसे काबू करने की सिफारिश भी कर रहे हैं।
रिकॉर्ड तोड़ने वाले वैश्विक तापमान और विनाशकारी चरम घटनाओं को रोकने के लिए मानवता को नेट ज़ीरो की राह में तेजी लानी चाहिए।
एक बार फिर से ये मुद्दा सरगर्म है। वैश्विक तापमान हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रहा है। ऐसे में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को बनाए रखने की मुहिम को और तेज़ करने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
धरती का बढ़ता तापमान बताता है कि सबसे कमज़ोर लोग सबसे ज़्यादा प्रभाव झेल रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमीर देश ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा अनुपात उत्सर्जित कर रहे हैं। ऐसे में रिकॉर्ड तोड़ने वाले इस वैश्विक तापमान और विनाशकारी चरम घटनाओं को रोकने के लिए नेट ज़ीरो की राह में तेजी लानी होगी।
तापमान का उदहारण देते हुए बताया जा रहा है कि प्रारंभिक सितंबर की वैश्विक-औसत तापमान अविश्वसनीय रूप से पिछले रिकॉर्ड से ज़्यादा है। धरती के अविश्वसनीय रूप से गर्म होने के यहां योगदान कारक बताये गए हैं।
वैश्विक तापमान विसंगति में मानव-जनित जलवायु परिवर्तन को अब तक का सबसे बड़ा योगदान कहा जा सकता है। जलवायु पर मानवता का प्रभाव करीब 1.2 डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की बड़ी दर ग्लोबल वार्मिंग में और भी तेजी के संकेत देती है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कई दशकों में सितंबर के तापमान में दिखा रहा है। इस वर्ष और पिछले वर्ष के बीच ज़्यादातर अंतर ला नीना से अल नीनो में स्विच करने और सही समय पर सही जगह पर सही मौसम प्रणालियों के कारण देखा गया है।
असाधारण गर्मी का एक महत्वपूर्ण कारण अल नीनो का मजबूत होना है। अल नीनो के दौरान उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के अधिकांश भागों में सतही महासागर का गर्म होना सामने आता है। अल नीनो के प्रभाव से वैश्विक औसत तापमान लगभग 0.1 से 0.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
हालिया विश्लेषण बताते हैं कि 2020 शिपिंग समझौते का प्रभाव 2050 तक 0.05 डिग्री सेल्सियस अतिरिक्त तापमान वृद्धि से जुड़ा है। प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए गए हैं। 2020 से वैश्विक शिपिंग उद्योग से सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ है। प्रदुषण का गिरना भी इससे जुड़ा है। अनुमान के मुताबिक़ स्वच्छ हवा ने हाल की गर्मी में योगदान दिया है, विशेष रूप से उच्च शिपिंग यातायात वाले रिकॉर्ड-गर्म उत्तरी अटलांटिक और प्रशांत क्षेत्रों में। अनुमान ये भी है कि यह अत्यधिक उच्च वैश्विक तापमान में योगदान दे रहा है, लेकिन महज़ डिग्री के सौवें हिस्से के स्तर पर।
प्रदूषण के स्तर में गिरावट के नतीजे में सूर्य की अधिक ऊर्जा पृथ्वी की सतह तक पहुँचती है। सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा स्वयं परिवर्तनशील है। ऐसे में 2019 के अंत में न्यूनतम से सूर्य अधिक सक्रिय हो रहा है और यह वैश्विक तापमान में वृद्धि में एक छोटा योगदान दे रहा है। धरती की गर्मी में बढ़ती सौर गतिविधि अधिकतम तापमान का केवल सौवां हिस्सा ही योगदान दे रही है।
दक्षिण प्रशांत महासागर में 15 जनवरी 2022 को पानी के नीचे हंगा टोंगा-हंगा हा’आपाई ज्वालामुखी फटने से बड़ी मात्रा में जल वाष्प ऊपरी वायुमंडल में पहुंचा। क्योंकि जलवाष्प एक ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए इस तरह से वायुमंडल में इसकी सांद्रता बढ़ने से ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ जाता है। हालाँकि विस्फोट करीब दो साल पहले हुआ था, मगर ग्रह पर इसका कुछ गर्म प्रभाव पड़ा। हालाँकि इसे भी डिग्री के सौवें हिस्से के में शामिल किया जा सकता है।
स्थानीय तापमान में वृद्धि और बेमौसम गर्मी का एक कारण यह भी है कि लगातार समुद्री गर्मी के साथ-साथ कई भूमि क्षेत्रों को गर्म करने वाली मौसम प्रणालियों की स्थिति भी वैश्विक-औसत गर्मी में योगदान देती है।
ऐसे में अधिक रिकॉर्ड तोड़ने वाले वैश्विक तापमान और विनाशकारी चरम घटनाओं को रोकने के लिए मानवता को नेट ज़ीरो की राह में तेजी लानी चाहिए। अन्यथा ये विसंगतियाँ पेरिस समझौते में उल्लिखित 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग स्तर से ऊपर प्रतीत हो सकती हैं।