स्टॉकहोम: एक नए अध्ययन से पता चला है कि बचपन में टॉन्सिल निकलवाने से बुढ़ापे में गठिया का खतरा बढ़ जाता है।
स्वीडन में किए गए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने गठिया से पीड़ित लगभग 7,000 लोगों की जांच की। इन व्यक्तियों में जनवरी 2001 और दिसंबर 2022 के बीच इस बीमारी का निदान किया गया था।
अध्ययन में स्वीडिश शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, उनमें इस बीमारी का खतरा अधिक था। शोध से यह भी पता चला कि प्रारंभिक जीवन में पर्यावरणीय कारक इस बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गठिया में 30 प्रतिशत की वृद्धि उन मामलों में देखने को मिली जिनमे टॉन्सिल्लेक्टोमी हुई थी। इनमे दर्द, ऐठन और थकान की समस्याएं भी देखने को मिलीं।
अध्ययन में प्रतिभागियों का प्रारंभिक जीवन से संबंधित कारकों के अनुसार विश्लेषण किया गया, जिसमें जन्म के समय मातृ आयु, प्रारंभिक गर्भावस्था का वजन, गर्भकालीन आयु, बच्चे का जन्म वजन और प्रसव का तरीका शामिल था।
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— Arthritis Digest (@ArthritisDigest) October 18, 2023
अन्य कारकों में भाई-बहनों की संख्या, जन्म से 15 वर्ष की आयु तक में गंभीर संक्रमण और 16 वर्ष की आयु से पहले टॉन्सिल और अपेंडिक्स को हटाना शामिल था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों के बड़े भाई-बहन हैं उनमें गठिया विकसित होने का खतरा 12 से 15 प्रतिशत अधिक था, और गंभीर संक्रमण के कारण रोग विकसित होने की संभावना 13 प्रतिशत अधिक थी।
हालाँकि, टॉन्सिल्लेक्टोमी गठिया में 30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी, जो रीढ़, जोड़ों और तंत्रिकाओं की सूजनका कारण भी था। जिसके परिणामस्वरूप दर्द, ऐठन और थकान की समस्याएं देखने को मिलीं।
हमारे गले के पीछे स्थित टिश्यू की दो नर्म गांठ टॉन्सिल कहलाती हैं। इनका महत्वपूर्ण काम शरीर को संक्रमण से बचाना है। टॉन्सिल में इंफेक्शन होने पर सूजन की समस्या के साथ आकार में बदलाव हो सकता है। टॉन्सिल्स 2 से 2.5 सेंटीमीटर तक के होते हैं लेकिन युवावस्था में इनका आकार ज्यादा होता है जो बाद में कम होने लगता है।