आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल का शोधन करके हरित ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। इस जैव-विद्युत रासायनिक उपकरण का नाम माइक्रोबियल फ्यूल सेल है। ये प्रणाली सस्ती होने के साथ बेहतर ढंग से काम करती है।
अधिकारियों के मुताबिक़ एमएफसी यानी माइक्रोबियल फ्यूल सेल में अपशिष्ट जल जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग इसे पर्यावरण के अनुकूल करता है। इस तरह जैव-विद्युत उत्पादन और अपशिष्ट प्रबंधन दोहरा लाभ प्रदान करता है।
According to officials, the use of organic material such as waste water in MFC makes it an eco-friendly device that offers a dual benefit of bioelectricity generation and waste management.https://t.co/iVLXa5Rjj0
— Economic Times (@EconomicTimes) June 1, 2022
रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले
बायो-इलेक्ट्रोकेमिकल डिवाइस बैक्टीरिया के माध्यम से कार्बनिक सब्सट्रेट में निहित रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीएचडी छात्र मुकेश शर्मा ने यह शोध प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैत के नेतृत्व में किया है।