लखनऊ। उत्तर प्रदेश में यादव राजघराने में जारी तनातनी खत्म होती दिख रही है। पिछले कुछ समय से यूपी के सीएम अखिलेश यादव और उनके चाचा और कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल यादव के बीच अनबन की खबरें आ रही थीं, पर शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच करीब घंटे भर लंबी मुलाकात के बाद बताया जा रहा है कि सब ठीक हो गया है।
मुख्यमंत्री आवास में दोनों नेताओं के बीच करीब घंटे भर की मुलाकात में क्या बाच हुई यह तो साफ नहीं है, पर अंत में शिवपाल मुस्कुराते हुए बाहर निकले। इस मीटिंग में चाचा-भतीजे के अलावा कोई और शामिल नहीं हुआ। हालांकि, शिवपाल यादव की मुस्कराहट से माना जा रहा है कि समाजवादी कुनबे में अब सब ठीकठाक है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच सब कुछ सामान्य रहा है और दोनों के सारे गिले-शिकवे दूर हो गए हैं। मतलब साफ है कि अब कुछ अधिकारियों और नेताओं पर गाज गिरनी तय है। सूत्रों की मानें तो चाचा-भतीजे की इस मुलाकात के बाद कई नेताओं और मंत्रियों के पर काटे जा सकते हैं। साथ ही लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई का चाबुक भी चल सकता है। शिवपाल ने कहा कि पार्टी और यादव परिवार में कहीं कोई मतभेद या अन्तर्कलह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अन्तर्कलह हमें तो नहीं दिखाई दी। हम तो आज ही डेढ़ घंटे बैठे हैं। पूरा परिवार कल भी साथ था, आज भी रहा। कल हम नहीं थे, तो आज हम बैठ लिए। सरकार में वह (अखिलेश) मुख्यमंत्री हैं और हम मंत्री हैं। हम दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है।’
अखिलेश सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए शिवपाल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना के तहत खाते जरूर खुलवा दिए, लेकिन उसमें एक भी पैसा नहीं डाला। अखिलेश ने अच्छा फैसला करते हुए समाजवादी पेंशन योजना के तहत 500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से उन गरीबों के खाते में डलवा दिए। अखिलेश ने अच्छे काम किए हैं। हम इसके बल पर 2017 में इससे भी बड़ी बहुमत की सरकार बनाएंगे।’
जमीनों पर अवैध कब्जे तथा उसके जिम्मेदार अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से व्यथित होकर हाल ही में इस्तीफे की बात करने वाले शिवपाल ने एक सवाल पर कहा कि जहां तक कब्जे का मामला है तो अधिकारियों ने लापरवाही जरूर की है। उन्होंने कहा कि एसपी के ही कुछ लोग अपने रुतबे का दुरुपयोग करते हैं। अगर पार्टी के ही लोग गड़बड़ी करेंगे तो इससे नुकसान तो पार्टी का ही होगा। इन मामलों पर अगर कार्रवाई नहीं हो तो तकलीफ होती है। जहां कहीं कब्जा होता है, तो मेरी भी जिम्मेदारी है। हमने जिलाधिकारियों को गड़बड़ी करने वाले लेखपालों और तहसीलदारों पर कार्रवाई करने को कहा है, लेकिन अगर जिलाधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो यह अच्छी बात नहीं है। लोकनिर्माण मंत्री ने कहा कि थानों और तहसील दफ्तरों में दलाल नहीं बैठने चाहिए, अगर दलाल एसपी से जुड़ा है तो उसके खिलाफ पहले कार्रवाई होनी चाहिए। मेरी राय है कि उसे पार्टी से फौरन हटा दिया जाना चाहिए।
कौमी एकता दल के एसपी में विलय को बहाल किये जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘इस मामले में सर्वाधिकार नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को है। नेताजी जो कहेंगे, हमें मान्य होगा। उनका संकेत हमारे लिए हुक्म है। हमारे खिलाफ अगर साजिश हो रही है तो उसे नेताजी दूर कर लेंगे।’
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले तक हालात ऐसे थे कि नाराज शिवपाल ने सार्वजनिक मंचों से एक से ज्यादा बार इस्तीफे देने की धमकी दी थी। इसके बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह को बीच में आना पड़ा था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने बेटे और सीएम को फटकार लगाई थी और भाई शिवपाल का पक्ष लिया था। मुलायम ने कहा था कि शिवपाल पहले भी इस्तीफा दे चुके हैं और उन्होंने बमुश्किल उन्हें मनाया था। उन्होंने कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गए तो सरकार और पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगी। माना जा रहा है कि मुलायम के कहने से ही शिवपाल शांत हुए।
शिवपाल यादव ने मैनपुरी में एक कार्यक्रम के दौरान बेहद भावुक अंदाज में कहा कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। पार्टी के नेता जमीनें कब्जाने में लगे हुए हैं। वह इस्तीफा दे सकते हैं। शिवपाल के बयान के अगले दिन ही मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अगर शिवपाल पार्टी से अलग हो गए तो समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। अखिलेश यादव चापलूसों से घिरे हुए हैं। उन्हें सच्चाई का अंदाजा नहीं है।
ऐसा नहीं है कि चाचा-भतीजे की लड़ाई पहली बार सार्वजनिक हुई है। बीते साल नवंबर महीने में पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर मची बंदरबांट में पार्टी के प्रदेश प्रभारी शिवपाल यादव ने सुनील यादव और आनंद भदौरिया को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके विरोध में अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव का बहिष्कार कर दिया। मजबूरन दोनों युवा नेताओं को पार्टी में फिर से वापस लेना पड़ा था।