भारतीय महिला फुटबॉल टीम की खिलाड़ी बाला देवी के साथ स्कॉटलैंड के फुटबॉल क्लब “रेंजर्स” ने करार किया है. इस करार के साथ बाला विदेशी क्लब के साथ खेलने वाली पहली भारतीय ही नहीं, बल्कि एशियाई महिला फुटबॉलर भी बन गई हैं.
खेल हो या फिर राजनीति का मैदान, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. अपने ऐसे ही हुनर की ताजा बानगी पेश की है भारतीय महिला फुटबॉलर नंगंगोम बाला देवी ने. फुटबॉलर बाला देवी के साथ हाल ही में यूरोपीय फुटबॉल क्लब रेंजर्स ने 18 महीने का करार किया है. बाला भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं जो यूरोपीयन लीग में खेलेंगी. डीडब्ल्यू हिंदी ने बाला देवी के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने फुटबॉल करियर और अनुभवों के बारे में खुलकर बात की.
2 फरवरी 1990 में मणिपुर के विष्णुपुर जिले के इरेंगबम में पैदा हुईं बाला देवी 10 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रही हैं. जिस उम्र में उनके साथ की लड़कियां गुड्डे-गुड़िया का खेल खेल रही थीं, तब वह अपने मुहल्ले के लड़कों के साथ फुटबॉल में दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में पसीना बहा रहीं थी. बाला के पिता ने सबसे पहले उनकी प्रतिभा को देखा और उन्हें औपचारिक ट्रेनिंग के लिए इरेंगबम अकादमी भेज दिया. बाला डीडब्ल्यू हिंदी को बताती हैं, “इरेंगबम में उसी दौरान लड़कियों के लिए फुटबॉल ट्रेनिंग अकादमी खुली थी जहां मैने औपचारिक ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया.”
2002 में उन्होंने पहली बार अंडर 17 खेला. 2003 में अंडर 19 टूर्नामेंट खेला और पहली बार में ही उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया. 2005 से वो भारतीय टीम के लिए खेल रही हैं. बाला देवी जबरदस्त मेहनत को अपनी सफलता का राज बताती हैं. वह कहती हैं, “दुनिया चाहे कुछ भी कहे लेकिन आपको हार नहीं माननी चाहिए. अपने लक्ष्य को पाने के लिए बस जुट जाना चाहिए.”