बाजारों में केले के गुच्छे देख कर भले ही आपको अंदाजा ना हो रहा हो लेकिन केला उद्योग इसकी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली किस्म को बचाने के लिए जूझ रहा है. एक फफूंद की वजह से इसके अस्तित्व पर संकट आ गया है.
केले की फसलों को तबाह करने वाली एक बीमारी ने आशंकाओं को सच साबित करते हुए लातिन अमेरिका में अपने पांव रख दिए हैं. लातिन अमेरिका देश दुनिया में सबसे ज्यादा केला निर्यात करता है. इसकी वजह से जिस केले की जान पर बन आई है उसका नाम है कैवेंडिश. यह आज कल सबसे ज्यादा उगाया और खाया जाता है. एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाने के दौरान यह केला लंबे समय तक खराब नहीं होता, इस खूबी ने इसे पास से लेकर दूरदराज के देशों तक पहुंचाने और मशहूर होने में बड़ी भूमिका निभाई है.
कई सालों से वैज्ञानिक यह कह रहे थे कि केले उगाने वाली बड़ी कंपनियों जैसे कि चिकीता और डोल को आखिरकार केले की एक नई किस्म खोजनी पड़ेगी क्योंकि एक बीमारी एशिया और दूसरे देशों में फैल रही है. इसी महीने इस बीमारी के कोलंबिया तक पहुंचने के खबर की पुष्टि हुई है. लातिन अमेरिका से कोलंबिया के केले सबसे ज्यादा निर्यात किए जाते हैं. बीमारी की पुष्टि होने के बाद अधिकारियों ने आपातकाल जैसी स्थिति की घोषणा की है.
Kolumbien Bananen-Produktion Gefährdung durch Pilzerreger (picture-alliance/AP/M. Rueda)
केला उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि यह इस बात का सबूत है कि कैवेंडिश केले के दिन अब गिने चुने ही रह गए हैं लेकिन फिर भी अभी विकल्प खोजने के लिए वक्त है. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी से रिटायर हुए वैज्ञानिक रैंडी प्लोएत्ज का कहना है, “मुझे नहीं लगता कि इससे सुपरमार्केट में कैवेंडिश की मौजूदगी पर तुरत फुरत कोई असर पड़ने वाला है.”
दुनिया में केले की कई किस्में उगाई जाती है लेकिन वह ज्यादातर स्थानीय उपयोग के लिए उगाई जाती हैं. अमेरिका और यूरोपिय संघ के देशों को भेजने के लिए उगाया जाने वाला केला मुख्य रूप से कैवेंडिश होता है. यह सोचना थोड़ा अटपटा है कि दुनिया भर में केले का बाजार केवल एक किस्म पर निर्भर रहे लेकिन यह एक तरीका था कीमतों को कम रखने और बाजार में केले को ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध रखने का. केला उगाना और दुनिया भर के बाजार के लिए इसकी सही किस्म चुननना आसान नहीं है. कैवेंडिश की खासियत यह है कि वह ज्यादा फसल देता है, साथ ही गर्म देशों से दूरदराज के सुपरबाजारों तक पहुंचने के दौरान इसमें नुकसान नहीं होता. यह धीरे धीरे पकता है और इसलिए जल्दी खराब नहीं होता.
Kolumbien Bananen-Produktion Gefährdung durch Pilzerreger (picture-alliance/AP/M. Rueda)
मजदूरों के बूट को भी विसंक्रमित किया जा रहा है.
एक ही किस्म पर निर्भर रखने का खतरा ऐसा नहीं है कि दुनिया पहली बार देख रही है. ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब दुनिया पर ग्रोस मिशेल या बिग माइक नाम के केले का दबदबा था. जानकार बताते हैं कि इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना तो कैवेंडिश से भी आसान था और यह ज्यादा मीठा भी था. 1950 के दशक में जिस बीमारी ने इसका सफाया कर दिया आज वही बीमारी कैवेंडिश की जान लेने की तैयारी में है. इस बार मुश्किल यह है कि कैवेंडिश की जगह लेने के लिए केले की कोई किस्म फिलहाल तैयार नहीं है.
एशिया के जिन देशों में ट्रॉपिकल रेस 4 नाम की यह बीमारी फैली है वहां कैवेंडिश की उन किस्मों को प्रमुखता दी जा रही है जो इस बीमारी की चपेट में नहीं आतीं. इसके साथ ही उन खेतों का रुख किया जा रहा है जहां अभी यह बीमारी नहीं पहुंची है. हालांकि ये किस्में ज्यादा फल नहीं देतीं और आखिरकार उनके भी फल इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. यह फफूंद खेत की मिट्टी में सालों साल जीवित रह सकती है. नतीजा यह होता है कि दूसरे खेत भी इससे प्रभावित हो जाते हैं.
Kolumbien Bananen-Produktion Gefährdung durch Pilzerreger (picture-alliance/AP/M. Rueda)
फफूंद को फैलने से रोकने के लिए कंटेनर की सफाई हो रही है.
कोलंबिया में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं. इसमें केले के बागों और बंदरगाहों से गुजरने वाले ट्रकों को रोक कर उन्हें विसंक्रमित किया जाता है. इसके लिए खास लोगों को काम पर लगाया गया है. यह फफूंद मिट्टी के छोटे छोटे टुकड़ों के साथ ट्रक के टायरों या फिर मजदूरों के जूतों के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच सकती है. कोलंबिया के किसान इस आशंका में भी हैं कि उनके केले चुराने वाले चोर कहीं इस बीमारी के फैलने का कारण ना बन जाएं. कारण यह है कि इन बागों की सुरक्षा के लिए हल्के फुल्के इंतजाम ही रहते हैं. ज्यादातर बाग छोटी छोटी बाड़ से घिरे रहते हैं. ऐसी स्थिति में बीमारी के फैलने की खबर आने के बाद पुलिस और कोलंबियाई सेना की मौजूदगी बागों के इर्द गिर्द बढ़ा दी गई है.
अब तक कोलंबिया के छह बागों में इस बीमारी के पहुंचने की पुष्टि हुई है. यह सभी बाग ला गु्आजिरा इलाके में हैं. यह इलाका वेनेजुएला की सीमा से लगता है. अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित क्षेत्र अब भी महज 200 हेक्टेयर का है और इस वजह से केले के निर्यात पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. हालांकि यह आशंका जरूर उठ रही है कि यह बीमारी कोलंबिया के केला उद्योग को हमेशा के लिए बदल देगी.