बीजिंग : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चीन चुनौती साबित हो रहा है। वह दक्षिणी चीन सागर में बने कृतिम द्वीप में करीब 24 इमारतें बनाने के करीब है. China
जिसमें लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जा सकती हैं। अमेरिका के दो अफसरों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी है।
अब सवाल यह उठ रहे हैं कि अमेरिका चीन के इस कदम का किस तरह जवाब देगा। चीन पूरे दक्षिणी चीन सागर पर अपना अधिकार होने का दावा करता है।
इस जगह से पूरी दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा समुद्री यातायात गुजरता है। मलयेशिया, फिलिपींस, ताइवान, ब्रूनेई और वियतनाम भी इस पर अपना अधिकार जताते रहते हैं। वहीं ट्रंप प्रशासन ने भी दक्षिणी चीन सागर में चीन द्वारा बनाई गईं इमारतों को अवैध बताया है।
नाम न बताने की शर्त पर दो अमेरिकी अफसरों ने हाल ही में कहा था कि चीन स्पार्टली द्वीप के सूबी, मिसचीफ, फिरी क्रॉस में ठोस इमारतों का निर्माण कर रहा है।
लंबी हवाई पट्टियों को बनाने का काम चीन पहले ही पूरा कर चुका है। इसे यहां सैन्य बल के इजाफे के तौर पर देखा जा रहा है। एक अमेरिकी अफसर ने कहा कि चीन एेसे ही दक्षिणी चीन सागर में कुछ भी नहीं बना लेगा।
यह कुछ एेसी इमारतें हैं, जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं, तो साफ है कि चीन क्या बना रहा है। दूसरे अफसर ने कहा कि इमारतें 66 फीट लंबी और 33 फीट ऊंची हैं। पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में गैर-सैन्यीकरण के पक्ष में है और सभी दावेदारों से अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का अनुरोध करता है। वहीं अमेरिका में मौजूद चीनी दूतावास ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
वॉशिंगटन में दक्षिणी चीन सागर के विशेषज्ञ ग्रेग पोलिंग ने दिसंबर में एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन ने दक्षिणी चीन सागर में खुद बनाए गए सभी सातों कृतिम द्वीपों पर एंटी एयरक्राफ्ट गन, एंटी मिसाइल सिस्टम समेत कई हथियार तैनात कर लिए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि नई इमारतों में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जाएंगी और इससे इस द्वीप पर चीन का हवाई कवच और मजबूत हो जाएगा। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि चीन कब तक यहां मिसाइल तैनात कर लेगा।