गोरखपुर। नेपाल सरकार के पूर्व जलस्रोत मंत्री दीपक ज्ञवाली ने कहा कि भारत में नोटबंदी से नेपाल के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। नेपाली लोग भारत में भी काम करने आते हैं। वैसे भी जहां रोटी बेटी का संबंध हो, जाहिर है वहां दोनों देशों की करेंसी भी लोगों के पास होगी, लेकिन इस बारे में दोनों देशों की सरकारों ने कोई योजना नहीं बनाई। मेरी नजर में यह बड़ी चूक है जिसका खामियाजा नेपाल का गरीब और मजदूर तबका झेल रहा है। india forget nepal
एक कार्यक्रम में शामिल होने गोरखपुर आए पूर्व मंत्री ने नोटबंदी पर बेबाकी से अपनी रखी। कहा कि रोजगार के सिलसिले में भारत आने वाले नेपाल के लोगों की संख्या में कमी आई है। नोटबंदी के चलते यह कमी और बढ़ेगी। नेपाल में हजारों की संख्या में लोग 500 1000 के नोट लेकर घूम रहे हैं। उनका खाता भी भारत में नहीं है। कुछ लोग मजबूरी में अपने खून पसीने की कमाई में आए बड़े नोट का बिचौलियों से सस्ता सौदा कर रहे हैं।
इन मुश्किलों के बावजूद नेपाल सरकार ने भी कोई पहल नहीं की। मधेसी आंदोलन पर उन्होंने कहा कि थारू लोग नेपाल की सीमा वाले इलाकों को थारू कहते हैं लेकिन मधेस को स्वीकार नहीं करते। एक मधेस एक प्रदेश का नारा इसीलिए आम जन का नारा नहीं बन सका।
नेपाली पानी से दोनों देशों में हो रही तबाही पर पूर्व जलस्रोत मंत्री ने कहा कि वर्ष 2002 03 में मैंने नेपाल, यूपी और बिहार के इंजीनियरों के साथ बैठक की। उनका फार्मूला और काम का तरीका ही गलत है। सीमा पर रोड बनाने के चक्कर में नेपाल से आने वाले नालों को ही बंद कर दिया गया। इसका परिणाम है कि नेपाल के कई जिलों में जलभराव होता है और खेत बर्बाद हो रहे हैं। वे ब्रिज की साइज नैरो करते हैं लेकिन यह भी गलत है। सिंचाई विभाग के काम पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि फसल वृद्धि, सिंचित क्षेत्रफल कितना बढ़ा और बढ़ने वाले उत्पादन को फोकस में रखकर प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया जाता बल्कि ध्यान हमेशा बड़े प्रोजेक्ट पर रहता है। india forget nepal