काठमांडू। नेपाल में संविधान में संशोधन के मुद्दे पर गतिरोध को दूर करने के लिए राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में वह मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विचार विमर्श करेंगी और समाधान का रास्ता निकालेंगी। इस बीच भारत ने नेपाल में जारी संविधान संशोधन प्रक्रिया का स्वागत किया है और आशा जताई है कि इससे समाज के सभी वर्गो का कल्याण संभव हो पाएगा। vidya devi bhandari
रिपब्लिका ऑनलाइन के मुताबिक राष्ट्रपति भंडारी देश की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित हैं। वह सहमति के आधार पर कोई निर्णय होते हुए देखना चाहती हैं। संविधान में संशोधन का विधेयक जब संसद में पेश होने के लिए सूचीबद्ध हो चुका है, तब उसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच के गंभीर मतभेद पैदा हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि नेपाल की 52 प्रतिशत मधेशी आबादी संविधान में मिले अपने अधिकारों से असंतुष्ट है। उसका आरोप है कि संविधान में मधेशियों के साथ भेदभाव किया गया है। समुदाय ने महीनों तक आंदोलन चलाकर नेपाल के बड़े इलाके को अस्त व्यस्त रखा। भारत से लगी सीमा पर अवरोध खड़े कर दिए। इसके चलते दोनों देशों का व्यापार प्रभावित हुआ और नेपाल में पेट्रोल, डीजल और गैस की किल्लत पैदा हो गई।
माना जाता है कि इसी आंदोलन के चलते केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। नए प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने कार्यभार ग्रहण के बाद कहा था कि वह मधेशियों की समस्या को दूर करेंगे। संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव के लिए ही संशोधन प्रस्ताव लाया जा रहा है। मधेशी भारतीय मूल के लोगों की नेपाल में बसी आबादी है।