बीते साल बांग्लादेश में आंदोलन करने वाले छात्रों ने अपने राजनीतिक दल का नाम नेशनल सिटिज़न पार्टी या जातीय नागरिक पार्टी रखा है। ये पार्टी आगामी चुनावों में पारंपरिक राजनीतिक दलों को चुनौती देने जा रही है।
28 फरवरी को इस नए दल की रूपरेखा को सार्वजनिक करने के मक़सद से एक समारोह हुआ। इसमें बांग्लादेश की पुरानी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कुछ नेताओं के साथ शरीक हुईं।
इस पार्टी में इस्लाम, हिंदू, बौद्ध और ईसाई धर्म को साथ लेकर चलने की बात कही जा रही है। इसके लॉन्च आयोजन समरोह में इन चारों धर्मों के धर्म-ग्रंथों का पाठ हुआ।
बताते चलें कि बांग्लादेश में पिछले दिनों अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं। ऐसे में यहाँ सभी धर्म के ग्रंथों को सार्वजनिक तौर पर सम्मान देना चौंकाने वाला था।
युवाओं की इस नई पार्टी के संयुक्त संयोजक ऑनिक रॉय ने बीबीसी को बताया कि उनके आंदोलन में सभी धर्मों और वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया था। उनकी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और चाहेगी की जहाँ कहीं भी क़ुरान को पढ़ कर किसी काम को शुरू किया जाता हो वहाँ सभी धर्मों के ग्रंथों का उल्लेख हो।
बताते चलें कि पिछले साल देश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध पर इस दल का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं ने अपने आंदोलन की शुरुआत की थी। गौरतलब है कि 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले परिवारों के लिए यहाँ नौकरियों में 30 फ़ीसदी आरक्षण था।
साल 2018 में होने वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इसे रद्द कर दिया था, लेकिन जून 2024 में जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे बहाल कर दिया तो पूरे देश में छात्र आंदोलन सक्रिय हो गया।
सरकार ने इस आंदोलन को बल पूर्वक दबाने का प्रयास किया मगर असफल रही। बिगड़े हालात में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को पांच अगस्त 2024 को देश छोड़ना पड़ा।
शेष हसीना के स्थान पर नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी। अब अंतरिम सरकार के मुताबिक़, बांग्लादेश में इस साल के अंत या अगले साल आम चुनाव होंगे।
नेशनल सिटीज़न पार्टी के प्रमुख नेता और संयोजक नाहिद इस्लाम ने पिछले साल स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन संगठन का नेतृत्व किया था और फिर वे अंतरिम सरकार में इनफ़ार्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग और अन्य विभागों के सलाहकार बने। इसके अलावा पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नौ लोगों की एक टीम कर रही है और आरिफ़ुल इस्लाम इस टीम का हिस्सा हैं।
आरिफ़ुल इस्लाम पार्टी की विचारधारा पर अपनी बात में कहते हैं कि हम न तो वामपंथी पार्टी होंगे और न ही दक्षिणपंथी। हमारा लक्ष्य बांग्लादेश के लोगों के मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना होगा।