लखनऊ। राजस्थान के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी गोरखधंधा शब्द पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठ रही है। नाथ संप्रदाय के अनुयायियों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस दिशा में शीघ्र ही कदम उठाना चाहिए।
नाथ पंथ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले गुरु गोरखनाथ के योगदान को कम करने की कोशिश के लिए ईजाद किया गया था शब्द गोरखधंधा। राजस्थान विघानसभा चुनावों में जारी घोषणा पत्र में गुरु गोरखनाथ का न केवल जिक्र है बल्कि कई घोषणांए उनके नाम से की गई हैं। वहीं गोरखधंधा शब्द को प्रतिबंधित करते हुए इसके इस्तेमाल को दंडनीय अपराध बनाने का वादा भी है।
तर्क यह है कि गुरु गोरखनाथ एक संत थे और इस शब्द का इस्तेमाल उनके अनुयायियों की भावनाओं को आहत करता है इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
भाजपा अगर राजस्थान में सत्ता में वापस आई तो गोरखधंधा शब्द प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं राजस्थान में बनेगा गोरखनाथ का स्मारक, लाइब्रेरी की स्थापना होगी और गुरु गोरखनाथ के बारे में पाठ्यक्रम में पढाया जाएगा।
भाजपा के घोषण पत्र में गोरखधंधा शब्द के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने और गुरु गोरखनाथ के नाम से घोषणाएं करने को योगी आदित्यनाथ के असर को देखा जा रहा है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े केन्द्र गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर हैं।
जाने-माने पत्रकार, कवि और लेखक रामसागर शुक्ल की नई पुस्तक छपकर शीघ्र बाजार में आने को है। पुस्तक का नाम है एशिया के ज्योतिपुंज गुरु गोरखनाथ। पुस्तक के पृष्ठ संख्या 72 में गोरख-धंधा शब्द की विस्तार से व्याख्या की गई है और निष्कर्ष निकाला कि गोरखनाथ ने किसी की परवाह न करके प्राचीन योग परंपरा को फिर से प्रतिष्ठित किया। अब समय आ गया है कि जब हमें गुरु गोरखनाथ के कार्यों का पुर्नमूल्यांकन करना चाहिए और गोरखधंधा शब्द को गौरवशाली अर्थ में लिया जाना चाहिए या इसे भुला देना चाहिए।