दुनिया भर में पहली अप्रैल को ‘अप्रैल फूल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। लंबे समय से यह दुनिया भर में एक लोकप्रिय परंपरा के रूप में एक खेल बना हुआ है।
अप्रैल फूल दिवस सदियों से विभिन्न संस्कृतियों द्वारा मनाया जाता रहा है। वर्तमान समय में भी, टीवी शो और मीडिया आउटलेट दर्शकों को गंभीर समाचारों को मज़ेदार अंदाज़ में बताते रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि इसका नाम लैटिन शब्द ‘एपेरीरे’ से आया है, जिसका अर्थ है खुलना, जो वर्ष के इस समय के दौरान प्रकृति के खिलने को दर्शाता है। कई संस्कृतियों में, अप्रैल को नवीनीकरण, विकास और उर्वरता का महीना भी माना जाता है। दरअसल इस समय धरती अपनी सर्दियों की नींद से जागती है।
हालाँकि अप्रैल फूल दिवस सदियों से मनाया जाता रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई यह आज भी एक रहस्य है।
एक नज़रिए के मुताबिक़, इसकी शुरुआत 1582 में हुई। यह उस समय की बात है जब फ्रांस में जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर ने ले ली और नया साल एक अप्रैल के बजाए पहली जनवरी से शुरू होने लगा।
परिणामस्वरूप, जो लोग यह मानते थे कि पहली अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती है, उनका “अप्रैल फूल” कहकर मजाक उड़ाया गया।
एक अन्य कथा में अप्रैल फूल दिवस को प्राचीन रोमन त्योहार ‘हिलारिया’ से जोड़ा जाता रहा है। यह देवी साइबेले के सम्मान में 25 मार्च को मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान लोग वेशभूषा पहनकर साथी नागरिकों का मजाक उड़ाते थे। इसी परंपरा ने आधुनिक समय के शरारती लोगों को प्रेरित किया और इस चलन की नींव पड़ी।