जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि पिछले साल लोकप्रिय शुगर की दवाओं की बढ़ोत्तरी के संकेत मिले हैं। इन दवाओं का प्रयोग वजन घटाने के लिए भी किया जाता है। इन दवाओं की आपूर्ति में वैश्विक कमी के कारण नकली दवा के उपयोग में भी वृद्धि देखी गई है।
एजेंसी ने कहा कि जीएलपी-1 एगोनिस्ट वर्ग से संबंधित दवाओं के नकली संस्करण विभिन्न माध्यम से बेचे और वितरित किए जा रहे हैं। इन दवाओं को अनियमित चैनलों पर बेचने का भी चलन बढ़ा है, जिनमे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शामिल है।
इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम के बारे में बताते हुए डब्ल्यूएचओ का कहना है कि नकली दवाएं खराब प्रदर्शन या विषाक्त प्रतिक्रिया का कारण बनती हैं। यह बहुत संभव है कि दवाओं का निर्माण अप्रमाणित व्यक्तियों द्वारा अस्वच्छ वातावरण में किया गया हो, जिसके कारण वे बैक्टीरिया से दूषित हो गयी हों।
The persistent shortage of genuine GLP-1 receptor agonist products has led to an increase in fake versions, the @WHO warned on Monday.#glp1 #WHO #biospacehttps://t.co/ja8y45F4ZK
— BioSpace (@biospace) January 30, 2024
ओज़ेम्पिक और इसी तरह की कई दवाओं, जिन्हें वजन घटाने वाली दवाओं के रूप में अनुमोदित किया गया था की भारी मांग के कारण वैश्विक बाजार में नकली दवाओं की खपत बढ़ गई है।
एक समाचार एजेंसी के अनुसार, 2023 में अमरीका में तीन लोगों को ओजिम्पिक का उपयोग करने के बाद उनके रक्त शर्करा के खतरनाक रूप से कमी होने के बाद उन्हें आपातकाल स्थितियों का सामना करना पड़ा।
पिछले साल ऑस्ट्रियाई और लेबनानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी बताया था कि नकली ओजिम्पिक का उपयोग करने के बाद लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जीएलपी-1 एगोनिस्ट, जो टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए विकसित किए गए थे, भोजन की लालसा को कम करते हैं। नैदानिक परीक्षणों से पता चला है कि ये दवाएं रोगियों में 15 से 20 प्रतिशत वजन कम करती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इन दवाओं की लंबे समय से कमी और नकली दवाओं की उपलब्धता के कारण टाइप 2 मधुमेह रोगियों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा है।