दिमागी बुखार (meningitis) की पहचान और बेहतर उपचार से दुनियाभर में लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरुवार को कहा कि संबंधित दिशानिर्देशों को अपनाकर इस बीमारी से होने वाली लाखों मौतों को टाला जा सकता है। नए दिशानिर्देश, वर्ष 2030 तक मेनिनजाइटिस को ख़त्म करने के प्रयासों का हिस्सा हैं, जिसमें रोकथाम प्रयासों पर विशेष रूप से बल दिया गया है।
इस रोग का समय रहते पता लगाने तथा तुरंत उपचार शुरू करने के साथ मरीज़ों के लिए दीर्घकालिक देखभाल सुनिश्चित करने के इरादे से यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने पहली बार गाइडलाइन जारी की हैं।
मेनिनजाइटिस से जुड़े मामलों के लिए डब्ल्यूएचओ में टीम प्रमुख डॉक्टर मैरी-पिएर प्रीज़ियोसी कहती हैं- “मेनिनजाइटिस से पीड़ित प्रत्येक परिवार को पता है कि यह बीमारी कितनी भयावह मुश्किलें पैदा कर सकती है।”
मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के इर्द-गिर्द मौजूद झिल्लियों (membranes) में आने वाली ख़तरनाक सूजन की समस्या मेनिनजाइटिस है जो कि अकसर बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण के कारण होती है।
मेनिनजाइटिस से संक्रमण की चपेट में किसी भी आयु वर्ग के लोग आ सकते हैं, जोकि खाँसते या छींकते समय निकलने वाली बूंदों या फिर व्यक्तियों में नज़दीकी सम्पर्क से फैलती है। इससे सबसे अधिक प्रभावित तब्क़ा निम्न और मध्यम आय वाले देश है।
मेनिनजाइटिस के मरीज़ के लिए फौरी चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत होती है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह बीमारी एक बड़ा ख़तरा है। इसमें मरीज़ की मौत या फिर लंबे समय तक जटिल स्वास्थ्य समस्या बने का जोखिम होता है।
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस इस बीमारी का सबसे खतरनाक रूप है, इसमें महज़ 24 घन्टों में रोगी की जान जा सकती है। रिकॉर्ड कि हर छह संक्रमित व्यक्तियों में से एक की मौत हो जाती है।
वहीँ डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से पता चलता है कि बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस से पीड़ित लगभग 20 प्रतिशत लोग दीर्घकालिक जटिलताओं की चपेट में आ जाते हैं। यह बेहद कष्टदायी होने के साथ आजीवन प्रभाव वाली विकलांगता के रूप में भी सामने आ सकती है।
गुरूवार को जिनीवा में नए दिशानिर्देशों को पेश करते हुए मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए डब्लूएचओ इकाई के प्रमुख डॉक्ट तरुण दुआ ने पत्रकारों को बताया कि टीकाकरण प्रयासों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाना अहम है, ताकि मस्तिष्क के ठीक से काम न करने समेत अन्य गम्भीर समस्याओं से बचाव हो सके।
डॉक्टर दुआ के अनुसार, इस संक्रमण से सुनने की क्षमता में कमी आती है, जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो सकती है। लेकिन, अगर डब्ल्यूएचओ के नए दिशानिर्देशों के अनुसार इसे जल्दी पहचान लिया जाए, तो उसका इलाज़ किया जा सकता है और बच्चों का स्कूल और समाज में बेहतर ढंग से समावेश किया जा सकता है।
यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूली बच्चों में तीन या चार संक्रमण मामलों के समूह का एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार किया जा सकता है, मगर यह तभी सम्भव है जब टीकाकरण का स्तर ऊँचा हो।
कई बार ख़राब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण कई निम्न आय वाले देशों में इलाज के लिए कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इनमे रोग की जाँच के लिए रीढ़ की हड्डी में सुई लगाकर परीक्षण जैसी जांचे शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आपात हालात, संकट या युद्धों से प्रभावित देशों की संख्या बढ़ने लोगों को जल्दी उपचार नहीं मिल पाता है। नतीजतन, मेनिनजाइटिस को पनपने की जगह मिल जाती है।
इसके तहत, साझेदार संगठनों के साथ मिलकर देशों को बीमारी से जुड़ा डेटा जुटाने, उसका विश्लेषण करने में समर्थन दिया जाएगा और उस पर नियंत्रण के लिए लागू की गई रणनीतियों पर भी नज़र रखी जा सकती है।
इस संक्रमण के सबसे ज़्यादा केस सब-सहारा अफ़्रीका में मौजूद हैं। इस बीमारी के प्रकोप के कारण इस क्षेत्र को अकसर ‘मेनिनजाइटिस बेल्ट’ के रूप में भी देखा जाता है जोकि पश्चिम में सेनेगल और गाम्बिया से लेकर पूर्व में इथियोपिया तक फ़ैला हुआ है।