भोपाल। राजधानी में राशन दुकानों में सप्लाई होने वाले गेंहू की 25 बोरियों में से 2 बोरी गेहूं मिट्टी की मिलावट वाला होता था। इसमें मिलावट का काम एमपी स्टेट सिविल सप्लाई और एमपी वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों की सांठ-गांठ से होता था।
यह खुलासा भोपाल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र राजीव नगर में पीड़ितों को बांटे गए गेहूं की 50 किलो वजन की बोरी में 20 किलो मिट्टी निकलने के बाद हुआ। जिला प्रशासन ने इस मामले में एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के कनिष्ठ सहायक दिनेश चौरसिया को निलंबित करने के साथ ही कॉर्पोरेशन के जिला प्रभारी राजेंद्र यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इससे पहले एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन और जिला प्रशासन के अफसरों ने सीहोर रोड स्थित करतार वेयर हाउस का निरीक्षण किया। वेयर हाउस के एक कर्मचारी ने बताया कि वेयर हाउस कार्पोरेशन और एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के अफसरों ने आपस में सांठ-गांठ करके यहां रखीं बोरियों से गेहूं निकालकर उसकी जगह 15 से 20 किलो मिट्टी भरवा दी। यह मिट्टी गोदाम के नजदीक के खेत से खोदकर लाई जाती थी। निरीक्षण के दौरान मिलावट पकड़ में न आए, इसके लिए इन बोरियों को अच्छे गेहूं की बोरियों के नीचे दबाकर रखा जाता था।
सूत्रों के अनुसार वेयर हाउस में खरीदी केंद्रों से आने वाला गेंहू रखा जाता है। इनको लोड-अनलोड करने के दौरान कई बोरियां फट जाती हैं या हुक कारण बोरियों गेंहू गिरने गिरने लगता है। इसे समेट कर इकठ्ठा कर लिया जाता था। फिर इसमें मिट्टी मिलाकर 50-50 किलो की बोरियां बनाई जाती थीं। इसके लिए सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन की बोरियों का इस्तेमाल होता था। इन बोरियों में किसी भी सोसायटी की सील नहीं होती है, जबकि गेंहू की बोरी पर सोयायटी की सील होना जरूरी है। इस मामले में सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, खाघ विभाग और वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के अफसरों की भूमिका भी संदेह में है।