जहाँ एक तरफ दुनिया नए साल जश्न मना रही है, वहीँ आने वाले दिनों की तमाम ऐसी चुनौतियां भी हैं जिनके लिए एकजुट होने और काम किए जाने की ज़रूरत है।
यूएन महासचिव इस अवसर पर कहते हैं कि उन्हें कार्यकर्ताओं से उम्मीद है। प्रगति के लिए अपनी आवाज़ें उठा रहे युवाओं और बुज़ुर्गों की बात करते हुए वह कहते हैं कि मुझे उन असाधारण मानवीय हस्तियों में उम्मीद नज़र आती है जो बेहद कमज़ोर हालात वाले लोगों की सहायता करने के लिए, विशालकाय बाधाओं पर पार पाते हैं।
वह उन सभी के साथ खड़े रहने की प्रतिज्ञा लेते हैं जो जन की ख़ातिर एक अधिक शान्तिपूर्ण, समान, स्थिर और स्वस्थ भविष्य का निर्माण करने के लिए काम कर रहे हैं।
नए साल के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है कि सबसे स्याह दिनों में भी, उम्मीद की शक्ति के सहारे बदलावों को हासिल किया जा सकता है।
अपने बयान में यूएन प्रमुख का कहना है कि उन्हें वित्तीय और जलवायु न्याय के लिए जद्दोजेहद कर रहे विकासशील देशों, मानवता के लिए नई खोज कर रहे वैज्ञानिकों और आविष्कारकों में आशा नज़र आती है।
महासचिव के अनुसार, 2025 में होने वाली घटनाओं की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है। साथ ही वह कहते हैं कि हमें सदैव ऐसे मूल्यों और सिद्धान्तों पर डटे रहना होगा जो मानवाधिकारों, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा दर्ज हैं।
आगे वह ज़ोर देकर कहते हैं- ‘2025 को हम एक साथ मिलकर एक नई शुरुआत बना सकते हैं; एक विभाजित विश्व के रूप में नहीं, बल्कि एकजुट देशों के रूप में।’
महासचिव सितम्बर के हवाले से उस उम्मीद का ज़िक्र करते हैं, जब विश्व नेताओं ने भविष्य के समझौते (Pact of the Future) को पारित करने में एकजुटता दिखाई। उनका कहना है कि यह समझौता निरस्त्रीकरण और रोकथाम के ज़रिए, शान्ति निर्माण को नई ऊर्जा देता है।
उनका मानना है कि इस समझौते के ज़रिये, वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधारों को लागू करने, महिलाओं और युवजन के लिए अधिक अवसरों को बढ़ावा देने, टैक्नॉलॉजी के लिए सुरक्षा दायरों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि मुनाफ़े की बजाय आम नागरिकों को, और अलगोरिदम के बजाय अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए।