लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा को जीत दिलाने में कुंवारे नेताओं की अहम भूमिका रही है। हालांकि, बाद में भाजपा नरेंद्र मोदी और अमित शाह की लोकप्रियता पर सवार हो गई। Up
यूपी में प्रचंड बहुमत के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को आरएसएस के दो मौजूदा प्रचारक और पूर्व प्रचारक की मदद मिली है। इनमें शिव प्रकाश, सुनील बंसल और ओम माथुर शामिल हैं।
दिलचस्प बात ये है कि ये तीनों अविवाहित हैं। माथुर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, जबकि प्रकाश राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में संयुक्त महासचिव (संगठन) हैं। वहीं बंसल पार्टी की यूपी यूनिट के महासचिव (संगठन) हैं।
प्रकाश 1986 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा में तहसील प्रचारक थे। उसके बाद उन्हें 2000-09 के दौरान देहरादून, मेरठ और अल्मोड़ा का प्रांत प्रचारक बना दिया गया।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत के बाद संघ ने शिव प्रकाश को भाजपा के हवाले कर दिया। भाजपा ने प्रकाश को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का संगठन प्रभारी बना दिया।
हालांकि, प्रकाश इस बीच काफी विवादों में भी रहें, लेकिन उन्होंने इन सब की बिना परवाह किए अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। पिछले साल उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोषारी ने प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग में प्रकाश सिंह को खूब खरी-खोटी सुनाई।
कोश्यारी ने उन पर स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। लेकिन प्रकाश बिना इन सब की प्रवाह किए हुए पार्टी के लिए काम करते रहें।
लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा को मिली जीत में बंसल की भी अहम भूमिका रही। उस वक्त जब अमित शाह को पार्टी के महासचिव के नाते यूपी का प्रभार दिया गया तो यूपी में मरी भाजपा को फिर से जिंदा करने के लिए अमित शाह के साथ सुनील बंसल ने बड़ी भूमिका निभाई।
बंसल ने बीजेपी की शहरी पार्टी के रूप में बनी छवि को दूर करने के लिए पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इससे पार्टी संगठन का गांवों में भी विस्तार हुआ। बंसल लोकसभा चुनाव के बाद भी विधानसभा चुनाव की लगातार तैयारियों में जुटे रहे जिसके तहत एक महीने में करीब 20 से 25 दिन यूपी के अगल-अलग इलाकों में प्रवास पर रहते थे।