संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) ने युवा महिलाओं और लड़कियों में एड्स संक्रमण की बढ़ी हुई दर को लेकर चेतावनी दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनिसेफ ने महिलाओं में एड्स की उच्च दर के बारे में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस बीमारी की रोकथाम और इलाज तक ऐसी महिलाओं और युवा लड़कियों की पहुंच नहीं है।
यूनिसेफ द्वारा पहली दिसंबर को मनाए गए विश्व एड्स दिवस पर जारी चेतावनी में पापुआ न्यू गिनी (पीएनजी) में मां से बच्चे में एचआईवी संक्रमण की खतरनाक रूप से बढ़ती दर पर बात की गई, जो 30% है।
इस संकट के कारण अकेले 2023 में 790 नए बच्चों में संक्रमण का अनुमान है, जिससे देश में एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में हुई प्रगति को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
यूनिसेफ की एचआईवी/एड्स की एसोसिएट निदेशक अनुरीता बेन्स ने कहा- “बच्चे और किशोर उपचार और रोकथाम सेवाओं तक पहुंच का पूरी तरह से लाभ नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में संसाधनों पर निवेश करना और सभी के लिए उपचार उपलब्ध कराने का प्रयास जारी रखा जाना महत्वपूर्ण है।”
यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2023 में, 15-19 वर्ष की आयु की 96,000 लड़कियां और 41,000 लड़के एचआईवी से संक्रमित थे। यह रिपोर्ट बताती है कि इस समय में सामने आने वाले हर 10 में से 7 मामले लड़कियों के थे।
दूसरी ओर, अफ़्रीका में हालात इससे ज़्यादा बदतर पाए गए। यहाँ 15-19 आयु वर्ग के युवा लड़कों और लड़कियों की पड़ताल की गई। पड़ताल से मिलने वाले नतीजों से पता चला कि यहाँ हर 10 नए एचआईवी संक्रमणों में से 9 लड़कियाँ थीं।
पीएनजी में एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं में से 30% से शिशुओं में वायरस फैलने के खतरे की बात सामने आई है। पीएनजी में यूनिसेफ की कार्यवाहक प्रतिनिधि, कैटरिना लिट्विनेंको ने स्थिति को कार्रवाई का आह्वान बताते हुए कहा कि कोई भी बच्चा एचआईवी, सिफलिस या हेपेटाइटिस के साथ पैदा नहीं होना चाहिए।
कैटरिना लिट्विनेंको ने 30% संक्रमण दर को अस्वीकार्य बताते हुए कहा- “परीक्षण का विस्तार करके, स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करके और जागरूकता बढ़ाकर, हम स्थिति को बदल सकते हैं और जीवन बचा सकते हैं।”