देवबंद: पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक darul-uloom-talaq-2मामले में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी किया है जिस में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है।
यह फतवा हरियाणा के पलवल जिला अंतर्गत गांव मलाई निवासी नसीम अहमद की अर्ज़ी पर दिया गया है। दारुल उलूम देवबंद द्वारा दो मई 2016 को दिए गए फतवे के मुताबिक, नसीम अहमद का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के मौलाना अरशद फारूकी ने कहा कि मोबाइल पर दिया गया तलाक इस्लामी नज़रिये से जायज है।
अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा। आज के दौर में पत्र, सन्देश अथवा सूचना तकनीक के इस वक़्त में ई-मेल से भी तलाक़ दिया जा सकता है बशर्ते यह सत्यापित हो।
मोबाइल फोन पर तलाक संबंधी फतवा केवल एक राय है और जो कोई आवश्यक नहीं है कि मुसलमान इसका पालन करें। लेकिन यह तीन तलाक पर बहस के बीच महत्वपूर्ण हो जाता है जब इस मुद्दे को लेकर एक देशव्यापी प्रतिक्रिया के तहत उकसाया जा रहा है और इसकी संवैधानिक वैधता की और से सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच की जा रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तीन तलाक के मामले को अपैक्स कोर्ट लेकर गई है और इसको गैर कानूनी बताया है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ग्रुप की महिलाओ ने इस फतवे को ख़ारिज करते हुए इस फतवे को अवैध बताया है।
उधर, फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुकर्रम अहमद ने मोबाइल फोन से तलाक देने को सही ठहराया है। उनके मुताबिक, मोबाइल फोन खुद नहीं बोलता। उसमें आदमी बोलता है, इसलिए यह जायज है। हालांकि, वाट्सएप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यमों से तलाक लिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कुछ कहने से इन्कार किया है।