आज सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने 20 जुलाई दोपहर 12 बजे तक एनटीए को सेंटर और सिटी वाइज परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है। साथ ही परिणाम घोषित किये जाने के समय छात्रों की पहचान छिपाई जाने की भी बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की। इसके सामाजिक प्रभाव का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने के लिए ठोस आधार होना चाहिए। कोर्ट ने पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित होने की भी बात कही और कहा कि पूरा देश इस मामले पर सुनवाई का इंतजार कर रहा है।
आज की सुनवाई के सिलसिलेवार बिंदु इस तरह हैं-
सीजेआई ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि हजारीबाग और पटना में पेपर लीक हुआ है। याचिकाकर्ताओं से पेपर लीक पर कुछ ठोस आधार देने की बात कही गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से 550 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या में 77 हजार की वृद्धि की दलील दी गई।
सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं ने सवाल किया कि 2022 में कितने छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे? इस पर जवाब मिला कि 17 लाख 54 से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनटीए से सवाल किया गया कि दो दिन के लिए फिर से फॉर्म भरने के लिए खोले गए नए विंडो के लिए समय क्यों दिया गया? इसके जवाब में एसजी ने कहा कि तीन हजार फिजिकल और 900 मेल द्वारा प्राप्त अर्ज़ियों में कहा गया था कि तकनीकी वजह से वो फॉर्म नहीं भर पाए। इसलिए यह विंडो खोला गया।
एनटीए के वकील एसजी तुषार मेहता से सीजेआई ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश के बारे में पूछा, जिसका हवाला देते हुए एनटीए ने नए आवेदनों के लिए नई विंडो खोलने का आदेश दिया था। एसजी ने लगभग 15 हजार नए आवेदन प्राप्त होने की बात कही थी। इन नए 15,094 छात्रों में से, एक लाख आठ हजार मेरिट वाले छात्रो की संख्या में प्रवेश पाने वाले केवल 44 थे। सही प्रक्रिया तो यही थी कि इस प्रक्रिया को 1 लाख 8 हजार लोगों पर लागू किया जाता।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हम आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते। अदालत ने पूछा कि क्या आईआईटी मद्रास में काम करने वाला कोई एनटीए का हिस्सा है। इस पर एसजी ने कहा की वर्तमान में काम करने वाला कोई नहीं है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि आईआईटी मद्रास का एक निदेशक एनटीए की गवर्निंग बॉडी में है। सीजेआई ने पूछा कि एनटीए की आईआईटी-जेईई में क्या भूमिका है? इस पर एसजी ने जवाब दिया कि कोई भूमिका नहीं है।
परीक्षा रद्द के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें इस बात के लिए संतुष्ट कीजिए कि पेपर लीक सुनियोजित और बड़े पैमाने पर हुआ है। याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने जवाब में कहा कि मैं ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता हूं, जो दोबारा परीक्षा चाहता है।
सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं को जवकब दिया कि पहले फैक्ट्स पर बात करें। अगर एक लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है और बाकी 22 लाख लोगों को नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए? मामले में जांच जारी है। सीबीआई ने जो हमें बताया है अगर वो सार्वजनिक होता है तो इसमें शामिल लोग जांच को लेकर सावधान हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी से जुड़ी याचिकाओं से पहले सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी। कोर्ट ने कहा कि आज हम मामले पर सुनवाई करेंगे। लाखों छात्र इसका इंतजार कर रहे हैं। हमें सुनवाई करने और निर्णय लेने दीजिए।
सीजेआई ने कहा कि दोबारा परीक्षा कराने के लिए ठोस आधार होना चहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है।
बताते चलें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा 5 मई को नीट-यूजी परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा में 23.33 लाख से अधिक छात्र सम्मिलित हुए। इसके लिए 571 शहरों के 4 हजार 750 केंद्रों पर परीक्षा सम्पन्न कराइ गई। इसमें 14 विदेशी शहर भी थे।