वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली खोज की है कि पृथ्वी की सतह से 700 किमी नीचे एक विशाल महासागर है।
वैज्ञानिकों का यह खुलासा सुनने में किसी साइंस फिक्शन जैसा लगता है क्योंकि 19वीं सदी के प्रसिद्ध फ्रांसीसी उपन्यासकार जूल्स वर्ने (Jules Verne) ने भी अपने एक उपन्यास में यह विचार प्रस्तुत किया था कि पृथ्वी के अंदर एक महासागर छिपा हुआ है।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस भूमिगत महासागर का आयतन इतना विशाल है कि यह पृथ्वी पर मौजूद सभी महासागरों के कुल आयतन से तीन गुना अधिक है।
पृथ्वी पर पानी की मौजूदगी का इतिहास जानने की खोज ने शोधकर्ताओं को इस चौंकाने वाले तथ्य तक पहुंचाया है कि पृथ्वी की सतह से 700 किमी नीचे भी एक बड़ा महासागर मौजूद है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी की सतह से 700 किलोमीटर नीचे महासागर रिंगवुडाइट नामक एक नीली चट्टान के अंदर छिपा हुआ है। ज़मीन के नीचे इतनी गहराई में पानी की मौजूदगी वैज्ञानिकों को इस लिए हैरान कर रही है कि पृथ्वी के इस हिस्से में इतना पानी आया कहाँ से।
A Gigantic Ocean Discovered 700km Beneath The Earth’s Surface
Imagine the vast expanse of the world’s oceans. Now, picture an underwater realm three times that size, not across the globe’s surface, but tucked away deep beneath it, at a depth of 700 kilometers. This isn’t the… pic.twitter.com/ROj1KqpYg1
— Niels Groeneveld (@nigroeneveld) April 2, 2024
शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस भूमिगत महासागर का आयतन इतना विशाल है कि यह पृथ्वी पर मौजूद सभी महासागरों के कुल आयतन से तीन गुना अधिक है।
इस खोज ने पृथ्वी के जल चक्र के बारे में एक नए सिद्धांत को भी जन्म दिया है जिसके तहत पृथ्वी पर सभी महासागर पृथ्वी की सतह के नीचे छिपे समुद्री जल से बने हो सकते हैं।
इलिनोइस में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख स्टीवन जैकबसन का कहना है कि यह नई खोज इस बात का ठोस सबूत है कि पृथ्वी की सतह पर पानी उसके आंतरिक भाग से आया है।
शोध में उन्होंने कहा- पृथ्वी की सतह के नीचे छिपा यह महासागर यह भी बता सकता है कि दुनिया के महासागर लाखों वर्षों से एक ही आकार के क्यों बने हुए हैं।