गाजा युद्ध से दूर रहने के बावजूद बेशुमार लोग इन ख़बरों से जुड़े हुए हैं। टीवी, इंटरनेट, अखबार और सोशल मीडिया के ज़रिए दुनिया भर में ये ख़बरें देखि और सुनी जा रही हैं। दुनिया इस युद्ध के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन से भी अवगत है।
इस जानकारी ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। युद्ध की विभीषिका का कई लोगों पर बेहद नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।
युद्ध की तस्वीरों और समाचारों के जवाब में हमारे तंत्रिका तंत्र का सहानुभूति पक्ष सक्रिय होता है, और यह आपको बेचैन और परेशान बनाता है।-प्रोफेसर डॉ. गेल साल्ट्ज़
हालाँकि यह रिपोर्ट बहुत पहले जारी की जा चुकी है मगर युद्ध की बढ़ती विभीषिका के परिणाम स्वरुप अब इससे होने वाले नुकसान भी व्यापक रूप लेने लगे हैं। रिपोर्ट में डॉक्टर गेल का कहना है कि यदि आप लंबे समय तक चिंतित रहते हैं तो आपके अंदर बढ़ने वाला उदासी का भाव अवसाद का कारण बनता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरीकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर चेतावनी दी है कि हिंसक और दर्दनाक खबरों के संपर्क में आने से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
APA Warns of Psychological Impacts of Violence in Middle East https://t.co/qKwAweBW97
— Social Psychology (@SocialPsych) October 12, 2023
एसोसिएशन का कहना है कि मनोवैज्ञानिक विज्ञान हमें बताता है कि भय, चिंता और दर्दनाक तनाव का हेल्थ और वेल्थ पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा इन प्रभावों को दुनिया भर के उन लोगों द्वारा महसूस किया जा रहा है जिनके परिवार और दोस्त युद्धग्रस्त क्षेत्र में हैं और वे भी जो दुनिया के किसी भी कोने में इस संघर्ष से चिंतित हैं।
न्यूयॉर्क अस्पताल और वेइल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में मनोचिकित्सा के क्लिनिकल एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गेल साल्ट्ज़ ने कहा कि युद्धों की तस्वीरों और समाचारों के जवाब में हमारे तंत्रिका तंत्र (nervous system) का सहानुभूति पक्ष सक्रिय होता है, और यह आपको बेचैन और परेशान बनाता है।
डॉक्टर गेल ने आगे कहा कि यह सिद्ध तथ्य है कि यदि आप लंबे समय तक चिंतित रहते हैं तो आपके अंदर उदासी का भाव बढ़ने लगता है जो अंततः अवसाद का कारण बनता है।