देश में 16 साल बाद होने वाली जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। जनगणना को दो चरणों में कराया जाएगा। देश के अधिकतर हिस्सों में जहाँ जनगणना के लिए पहली मार्च 2027 की रात 12 बजे को आधार तारीख़ माना गया है वहीँ ठंडे और बर्फले इलाकों में जनगणना पहली अक्तूबर 2026 से शुरू होगी।
जनगणना के कार्यभार की ज़िम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाला ऑफ़िस ऑफ़ रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर उठाता है। भारत की जनगणना, जनगणना अधिनियम-1948 के प्रावधानों के तहत होती है जबकि यहाँ 1872 से जनगणना की जा रही है। देश में पहली बार 2027 की जनगणना डिजिटल माध्यम से होगी।
इस जनगड़ना के माध्यम से देश में रहने वाले लोग, उनकी स्थिति, शिक्षा, आवास, आमदनी के स्रोत तथा उनकी सामाजिक स्थिति आदि से जुड़े आंकड़ों को जुटाने की प्रक्रिया ही जनगणना है, जिसके आधार पर किसी देश के विकास का आंकलन किया जाता है। जनगणना के तहत प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल नीति और कल्याणकारी योजनाओं को बनाने के लिए किया जाता है।
भारत में पिछली जनगणना 2011 में दो चरणों में कराई गई थी, हालाँकि यहाँ हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना कराई जाती है और इस नियम से अगली जनगणना 2021 में होनी थी। मगर कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था। ऐसे में यह जनगणना 10 के बजाए 16 वर्ष के अंतराल पर हो रही है।
अधिसूचना में कहा गया कि केंद्रीय सरकार, जनगणना अधिनियम, 1948 (1948 का 37) की धारा 3 से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह घोषणा करती है कि भारत की जनसंख्या की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी।
इसमें आगे कहा गया है कि इस जनगणना के लिए संदर्भ तारीख, संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख के और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित असमकालिक क्षेत्रों के सिवाय, मार्च, 2027 के पहले दिन के 00:00 बजे होगी।
संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख के लिए और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित असमकालिक क्षेत्रों के लिए संदर्भ तारीख अक्टूबर, 2026 के पहले दिन के 00:00 बजे होगी।”