नई दिल्ली, टाटा मोटर्स ने मैनेजर स्तर पर 1500 कर्मचारियों तक की छंटनी का ऐलान किया है. कंपनी का कहना है कि ये कंपनी के ढांचे में सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा है. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर गुंटर बुत्शेक ने मीडिया को बताया कि कंपनी के कुल 13 हजार मैनेजरों में करीब 10-12 फीसदी की कमी की गई है. वो वित्तीय साल 2016-17 के लिए कंपनी की कमाई का लेखा-जोखा देते वक्त बोल रहे थे.
हालांकि टाटा मोटर्स की मैनेजमेंट ने साफ किया है कि छंटनी का असर ‘ब्लू कॉलर’ यानी कामगारों की नौकरियों पर नहीं पड़ेगा. कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर सी रामकृष्णन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘हमने कर्मचारियों की भूमिका और जरूरत का बहुत गहनता से विश्लेषण किया है. इस फैसले तक पहुंचने में हमें 6-9 महीने तक का वक्त लगा है. हमने छंटनी के वक्त परफॉर्मेंस और नेतृत्व क्षमता जैसी खूबियों का ख्याल रखा है.’टाटा मोटर्स के अधिकारी ये दावा कर रहे हैं कि छंटनी की वजह लागत घटाना नहीं बल्कि संस्थान के ढांचे को चुस्त-दुरुस्त करना है. निकाले गए कर्मचारियों में से कुछ को स्वैच्छिक रिटायरमेंट दी गई है जबकि कुछ का तबादला किया गया है.
टाटा मोटर्स इकलौती कंपनी नहीं है जिसके कर्मचारियों पर गाज गिरी है. बीते कुछ महीनों में सॉफ्टवेयर समेत कई सेक्टर की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की तादाद घटाई है. अमेरिकी नीतियों में बदलाव से लेकर स्वचलित तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल को इसकी वजह माना जा रहा है. इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी लार्सन एंड ट्यूब्रो ने मौजूदा वित्तीय साल के पहले हिस्से में 14 हजार कर्मचारियों की नौकरी खत्म करने का ऐलान किया था. एचडीएफसी बैंक इसी साल 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुका है. सॉफ्टवेयर सेगमेंट में करीब 50 हजार नौकरियां जा चुकी हैं.