सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले के तहत जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के शीघ्र निपटारे की बात कही है।
शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्ट को जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने और स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले के तहत इन लंबित आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाई कोर्ट के लिए छोड़ने की बात कही है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में एक यूनिफर्म गाइडलाइंस तय करना आसान काम नहीं है।
आगे शीर्ष अदालत का कहना है कि हाई कोर्ट अनुच्छेद-227 में अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है और इस तरह के मामलों में हाई कोर्ट कारगर मॉनिटरिंग करेगा।
सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले को जल्द निपटारे के लिए दिशानिर्देश जारीhttps://t.co/fKxFSab97t
— Jansatta (@Jansatta) November 10, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान केसों की मॉनिटरिंग और जल्द निपटारे से सम्बंधित कुछ सामान्य निर्देश जारी किए।
एमपी और एमएलए के खिलाफ पेंडिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को खुद से संज्ञान लेने की बात कही है। साथ ही ये भी कहा है कि सुनवाई के लिए कोर्ट तय करें ताकि एमपी और एमएलए के खिलाफ पेंडिंग केसों का मॉनिटरिंग हो सके और केस का जल्दी निपटारा हो सके।
इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को मामले में संज्ञान के लिए स्पेशल बेंच के गठन की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि स्पेशल बेंच राज्य के एडवोकेट जनरल या फिर अभियोजन पक्ष के वकील को कोर्ट के सहयोग के लिए बुला सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने फांसी व उम्रकैद की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता देने की बात कही। इसके बाद उन केसों के निपटारे की बात कही जिनमे पांच साल या उससे ज्यादा सजा के मामले आते है।