सुप्रीम कोर्ट ने कानून के शासन में बुलडोजर न्याय को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि नागरिकों की संपत्ति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त नहीं किया जा सकता है।
सार्वजनिक अधिकारियों को जनता के प्रति जवाबदेह बताते हुए अदालत ने किसी भी कार्रवाई के लिए उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए जाने की बात कही है।
कई राज्यों में अवैध निर्माणों को ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता।
बुलडोज़र सिस्टम के तहत अतिक्रमण हटाए जाने को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानून का शासन सभी के लिए समान है और कोई भी अधिकारी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता।
तीन जजों वाली पीठ ने बुलडोजर जस्टिस को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताते हुए 2019 में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में हुए एक घर के विध्वंस मामले वाली याचिका पर सुनवाई में यह फैसला दिया।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत हर नागरिक को संपत्ति का अधिकार है और इस अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। इसके अलावा कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया। बताते चलें कि सड़क विकास के दौरान याचिकाकर्ता का घर ध्वस्त कर दिया गया था।
ऐतिहासिक फैसले में किसी भी संपत्ति को ढहाने से पहले कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का भी आदेश दिया है। जिसके तहत निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा-
- वास्तविक अतिक्रमण की पहचान करने के लिए अधिकारियों को एक उचित सर्वेक्षण करवाना होगा।
- अधिकारियों को किसी भी संपत्ति को ढहाने से पूर्व यह सुनिश्चित करना होगा कि वह भूमि रिकॉर्ड और मानचित्रों के अनुसार वास्तव में अवैध है या नहीं।
- कथित अतिक्रमणकारी को तीन लिखित नोटिस जारी किए जाएंगे, जिससे उसे अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।
- नोटिस के जवाब में आए सभी आपत्तियों पर विचार के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
- अतिक्रमण की गई कोई संपत्ति यदि अवैध पाई गई तो अतिक्रमणकारी को इसे स्वेच्छा से हटाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति स्वेच्छा से नहीं हटाता है, तब सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत उस भूमि का अधिग्रहण कर सकती है।
फैसले में सीजेआई ने यह भी कहा कि यदि कोई भी सरकारी अधिकारी किसी व्यक्ति की संपत्ति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ढहाता है या फिर ऐसी किसी कार्रवाई की मंजूरी देता हैं तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।