सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की तरफ से कराई गई जातिगत गणना से संबंधित याचिका पर आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी।
जातिगत गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम किसी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से रोक नहीं सकते।
याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातीय गणना का डेटा प्रकाशित करने पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सुनवाई के दौरान नीति बनाने या काम करने की सिर्फ समीक्षा की जा सकती हैं उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के पहली अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नीतीश-तेजस्वी सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अगले वर्ष जनवरी माह में होगी।
बिहार जातिगत गणना की इस रिपोर्ट में प्रदेश की 215 जातियों और छह धर्मों के मानने वाले लोगों की गिनती की गई। इनमें हिंदुओं का प्रतिशत 81.99 है जो संख्या के हिसाब से 10 करोड़, 71 लाख 92 हजार 958 है। वहीं मुस्लिम आबादी 17.70 फीसद के साथ दो करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है।
Bihar Caste Census: जाति गणना की रिपोर्ट पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- सरकार को नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकतेhttps://t.co/L5yXEn3VOp
— Jansatta (@Jansatta) October 6, 2023
गौरतलब है कि इस 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 13 करोड़, सात लाख 25 हजार तीन सौ 10 है। कुल जनसंख्या में वर्ग के आधार पर पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग की 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति की 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति-1.68 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी की है।