चुनाव आयोग ने अपनी चुनाव मशीनरी को राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह निर्देश कांग्रेस के ईगल की ओर से मतदाता सूची में हेरफेर को लेकर लगाए गए आरोप के बाद दिए हैं।
आयोग की ओर से यह निर्देश राज्य चुनाव अधिकारियों के एक सम्मेलन में उस समय दिया गया जब तृणमूल कांग्रेस की तरफ से यह आरोप लगाया गया कि विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में मतदाताओं के पास समान मतदाता कार्ड संख्या है।
इस संबंध में राज्य चुनाव अधिकारियों को 31 मार्च तक कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है। बताते चलें मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभालने के बाद ज्ञानेश कुमार इस तरह का पहला सम्मेलन सम्बोधित कर रहे थे।
आयुक्त ने इस बात पर जोर दिया कि सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का पालन वैसे ही करना चाहिए, जैसा कानून और चुनाव आयोग के निर्देशों में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
अपने संबोधन में ज्ञानेश कुमार ने अधिकारियों से पारदर्शिता बरतते हुए सभी वैधानिक दायित्वों को लगन तथा वर्तमान कानूनी ढांचे के अनुसार पूरा करने का आह्वान भी किया।
सम्बोधन में ज्ञानेश कुमार का कहना था कि संबंधित सक्षम प्राधिकारी द्वारा मौजूदा वैधानिक ढांचे के भीतर किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए वैधानिक स्तर पर सभी दलों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए।
बताते चलें कि वोटों की हेरफेर पर कांग्रेस का कहना है कि वह कानूनी, राजनीतिक एवं अन्य तरीकों से इसका समाधान निकालने की कोशिश करेगी। एक दिन पहले सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने एक ही पहचान संख्या वाले कई मतदाताओं पर निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाया था। देश के चुनावी लोकतंत्र के लिए इसे गंभीर खतरा बताते हुए पार्टी का कहना था कि वह इस मुद्दे को ऐसे ही जाने नहीं देगी।