हमारी त्वचा कई भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, यह हमारे आंतरिक तापमान को संतुलित करते हुए एक प्रहरी का रोल निभाती है। हमारे और कीटाणुओं के बीच मौजूद ये त्वचा हमें सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रखने का भी काम करती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि त्वचा संवेदी न्यूरॉन्स का घर है जो हमें अपने आस-पास की दुनिया को समझने में मदद करती है। यह शरीर का सबसे बड़ा अंग भी माना जाता है, हालांकि कुछ वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं।
अपनी स्पष्ट उपस्थिति और कई शारीरिक कार्यों के बावजूद, यह कई मिथकों और गलत धारणाओं का केंद्र भी है। त्वचा के प्रति चौकन्ना रहना हमारी ड्यूटी भी है मगर इस विषय से कई तरह के मिथ भी जुड़े हैं। ये मिथ अकसर धोखे में डाल देते हैं। उदहारण के तौर पर इस तरह की कई बातें हम सब अपने आस पास महसूस कर सकते हैं। आइए एक नज़र डालें कुछ ऐसी ही मिथ पर-
० महंगी स्किन क्रीम आपकी त्वचा को हमेशा ‘जवान’ बनाए रख सकती है
० पानी पीने से आपकी त्वचा हाइड्रेटेड रहती है
० एंटीबैक्टीरियल साबुन त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है
० धूल भरे चेहरे पर मुंहासे हो जाते हैं
० चॉकलेट खाने से मुंहासे हो जाते हैं
० सूरज के संपर्क में आने वाले सभी प्रकार त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं
० विटामिन ई त्वचा के दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है
० प्राकृतिक उत्पाद त्वचा के लिए बेहतर होते हैं
० त्वचा के घावों को ठीक होने के लिए हवा की आवश्यकता होती है
० स्वस्थ त्वचा के लिए दैनिक एक्सफोलिएशन आवश्यक है। एक्सफोलिएशन त्वचा की सतह से मृत कोशिकाओं को हटाने की प्रक्रिया है।
जबकि जानकार मानते हैं कि त्वचा संवेदी न्यूरॉन्स का घर है जो हमें आस-पास की दुनिया को समझने में मदद करती है और हमारे शरीर का बाहरी आवरण बनकर इसे कई संक्रमणों और मौसम से बचाती है।